नीरज चोपड़ा एक दिन के अंदर भारत की सबसे मशहूर खेल हस्ती बन गए। आखिर उन्होंने ओलंपिक में भारतीय एथलेटिक्स का सौ साल से चल रहा पदक का सूखा खत्म किया, वह भी गोल्ड के साथ।
आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ नीरज चोपड़ा ही नहीं उनके कोच भी रिकॉर्ड मीटर तक भाला फेंक चुके हैं। टोक्यो ओलंपिक में नीरज की सफलता की पटकथा लिखने वाले 59 वर्षीय जर्मन कोच उवे हॉन जैवलिन थ्रो में खुद एक रिकॉर्ड होल्डर है।
उवे हॉन ने 100 मीटर से ज्यादा तक की दूरी पर भाला फेंका था। यह रिकॉर्ड हॉन ने 1984 में बनाया था उनका भाला 104.8 मीटर तक गिरा था।हालांकि यह भाला हॉन ने पुराने भाले से फेंका था। इसके दो साल बाद ही नए डिजाइन के भाले से जैवलिन थ्रो स्पर्धा होने लगी थी। 1996 में नए भाले को रिकॉर्ड दूरी पर जर्मनी में जेस्स मीटिंग इवेंट में फेंका गया था। जेन ने यह कारनामा 1996 में किया था।
कितनी अजीब बात है न, जैवलिन थ्रो के फाइनल में नीरज चोपड़ा से मुकाबला करने वाले 2 भालाफेंक खिलाड़ी थे लेकिन जर्मन कोच भारत के पास था। इस खेल पर कई सालों से यूरोपिय खेल का दबदबा रहा लेकिन फाइनल में नीरज चोपड़ा ने तो गोल्ड जीत ही लिया, पाकिस्तानी खिलाड़ी भा यूरोपिय खिलाड़ियों को टक्कर देते हुए देखे गए।
नीरज ने फाइनल में शानदार शुरुआत की और पहली थ्रो में 87.03 मीटर की दूरी नाप ली। उनकी दूसरी थ्रो इससे भी बेहतर रही जिसमें उन्होंने 87.58 मीटर का फासला तय किया। उनकी तीसरी थ्रो 76.79 मीटर रही। इसके बाद उनकी अगली दो थ्रो फ़ाउल रही। उनकी आखिरी थ्रो से पहले उनका स्वर्ण पक्का हो चुका था। उनकी अंतिम थ्रो 84.24 मीटर रही लेकिन उनकी दूसरी थ्रो उन्हें स्वर्ण दिलाने के लिए काफी थी।
दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे चेक खिलाड़ियों ने सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन वे नीरज के खिलाफ मुकाबले में नहीं आ पाए और उन्हें रजत तथा कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। जर्मनी के जूलियन वेबर को चौथा और पाकिस्तान के अरशद नदीम को पांचवां स्थान मिला।
ओलंपिक मेडल जीत सकते थे हॉन
सिर्फ यही नहीं एक और समानता नीरज और उनके कोच में है। 19 साल की उम्र में ही हॉन ने जैवलिन में रिकॉर्ड बनाना शुरु कर दिया था। 1981 में हुई जूनिया यरोपिय चैंपियशिप में उन्होंने 86.58 मीटर तक भाला फेंका। वहीं अगले साल सीनियर स्पर्धा में 91.34 मीटर दूर तक भाला फेंका था। बर्लिन में हुए एथलेटिक्स मीट में उन्होंने रिकॉर्ड 04.8 मीटर तक भाला फेंका था। हालांकि वह ओलंपिक में मेडल जीतने से चूक गए थे लेकिन उन्होंने अपने शिष्य को न केवल मेडल दिलवाया बल्कि गोल्ड मेडल जितवाया। (वेबदुनिया डेस्क)