टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी ने बहुत शानदार प्रदर्शन किया। पुरुष और महिला टीम दोनों ने सेमीफाइनल में जगह बनाई। मनप्रीत सिंह की कप्तानी टीम जहां 49 सालों के लंबे इंतजार के बाद सेमीफाइनल में पहुंची तो रानी रामपाल की टीम ने ओलंपिक के इतिहास में पहली बार यह कारनामा किया। इतना ही यह पहला ऐसा मौका भी रहा, जब हमारी पुरुष और महिला टीम किसी एक ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची हो।
भले ही भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो 2020 में देश का परचम लहराया हो, लेकिन आज भी हमारी यह टीम कहीं न कहीं अपने वजूद को तलाश रही है। दरअसल, ओलंपिक जैसे बड़े इवेंट में कॉरपोरेट जगत टीमों को स्पॉन्सर करता है, लेकिन भारतीय हॉकी की कहानी कुछ और ही नजर आई। आप सभी को जानकर हैरानी होगी लेकिन हमारी हॉकी टीम को कोई कॉरपोरेट नहीं, बल्कि ओडिशा सरकार कर रही है।
ओडिसा सरकार पुरुष और महिला दोनों हॉकी टीमों के प्रायोजक है। इस बात को लेकर ओडिशा सरकार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक लगातार चर्चा में बने हुए हैं। इंडियन हॉकी जब आर्थिक तंगी से जूझ रही थी, तब नवीन पटनायक ने सामने आकर खड़े हुए।
पटनायक सरकार ने दोनों टीमों को स्पॉन्सर किया और आज दोनों टीमें टोक्यो ओलंपिक में देश का मान बढ़ा रही है। आज देश के बच्चे-बच्चे की जुबां पर हमारी हॉकी टीम का नाम सुनने को मिल रहा है। बता दें कि, ओडिशा पहला ऐसा राज्य है जिसने भारतीय हॉकी को स्पॉन्सर किया हो।
आईपीएल जैसे स्पोर्ट्स अधिक लोकप्रिय होने के बाद साल 2018 में सहारा ने भारतीय हॉकी से आधिकारिक स्पॉन्सरशिप वापस ले ली थी। उसके बाद ओडिशा सरकार ने भारतीय हॉकी का हाथ थामा था।
ओडिशा सरकार ने 2018 में हॉकी इंडिया के साथ 5 साल का करार किया और सभी नेशनल टीमें, जूनियर, सीनियर, मेंस और विमेंस के लिए करीब 150 करोड़ की डील तय की थी। अगर हॉकी टीम को उबारने का श्रेय पटनायक सरकार को दिया जाए तो बिल्कुल भी गलत नहीं होगा।
ओडिशा सरकार का यह कदम वाकई में काबिले तारीफ है और दूसरे राज्यों के लिए एक मिसाल भी है। खास बात तो यह है कि, ओडिशा देश के अमीर राज्यों में से नहीं है लेकिन फिर भी उनका कदम सराहनीय है।