टोक्यो:खेलों में सबसे लंबे डोपिंग विवाद के बाद रूस तोक्यो ओलंपिक में एक और नए नाम के साथ प्रतिस्पर्धा पेश करेगा।पदक वितरण समारोह के दौरान किसी पोडियम के ऊपर रूस का ध्वज नजर नहीं आएगा लेकिन खिलाड़ियों की पोशाकों पर राष्ट्रीय रंगों का इस्तेमाल हो सकता है।
पुराने और नए डोपिंग मामलों की अब भी टीम पर छाया है। पिछले वर्षों के मामलों के लिए तोक्यो खेलों की टीम में शामिल दो तैराकों को निलंबित किया गया है और दो रोइंग खिलाड़ी पिछले महीने पॉजिटिव पाए गए।
इस बार टीम रूस और ओलंपिक एथलीट आफ रूस के नाम से नहीं उतरेगी। टीम इस बार रूस ओलंपिक समिति (आरओसी) के नाम से उतरेगी।
खिलाड़ी आधिकारिक रूप से अपने देश नहीं बल्कि आरओसी का प्रतिनिधित्व करेंगे और रूस के नाम, ध्वज और राष्ट्रगान पर प्रतिबंध होगा। आलोचकों का हालांकि कहना है कि रूस की टीमें जब राष्ट्रीय रंगों की पोशाकों के साथ उतरेंगी तो अंतर पहचानना बेहद मुश्किल होगा।
रूस के खिलाड़ियों पर पोशाकों पर लाल, सफेद और नीले रंग का इस्तेमाल होगा लेकिन राष्ट्रध्वज और रूस नाम नहीं लिखा होगा। इसके अलावा कोई और राष्ट्रीय प्रतीक भी नहीं होगा। कलात्मक तैराकी टीम ने कहा कि उन्हें ऐसी पोशाक पहनने से रोका गया जिस पर भालू की तस्वीर बनी थी।
अधिकारिक ओलंपिक कागजातों और टीवी ग्राफिक्स पर भी रूस की टीमों के नतीजों को आरओसी के रूप में दिखाया जाएगा लेकिन रूस ओलंपिक समिति के पूरे नाम का जिक्र नहीं होगा। स्वर्ण पदक विजेताओं के लिए राष्ट्रगीत की जगह रूस के संगीतकार चेकोवस्की का संगीत बजाया जाएगा।
विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने रूस के ट्रैक एवं फील्ड एथलीटों में बड़े स्तर पर डोपिंग के सबूत हासिल किये थे। उसकी रिपोर्ट के बाद 2015 में रूस को निलंबित कर दिया गया था।
रूसी महासंघ ने विश्व एथलेटिक्स से बाहर होने से बचने के लिये अगस्त में लाखों डालर का जुर्माना चुकता किया था।ओलंपिक में दो बार के स्वर्ण पदक विजेता को ने कहा था, मैं आशावान हूं। हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
इसके बाद लुसाने स्थित खेल मध्यस्ता अदालत (सीएएस) ने डोपिंग मामलों को लेकर रुस पर दिसंबर 2019 में लगा चार साल का प्रतिबंध हटाकर दो साल कर दिया था और रुसी खिलाड़ी अगले दो वर्षों में टोक्यो ओलंपिक, फीफा विश्वकप फुटबॉल और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में अपने देश के ध्वज और राष्ट्रगान के तले हिस्सा नहीं ले लेने का आदेश जारी किया था।
इसके अलावा ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंटों में दो साल तक रुसी सरकार के अधिकारियों और प्रतिनिधियों के शामिल होने पर भी प्रतिबंध लगाया था।