नई दिल्ली:टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के दौरान मनु भाकर की पिस्टल में गड़बडी हो गई थी। इसके बाद भारतीय निशानेबाजी टीम के रवैये पर सवाल उठाने वाली स्विस बंदूक निर्माता कंपनी मोरिनी ने भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) से बिना शर्त माफी मांगी है। क्वालीफिकेशन में 16वें शॉट के बाद भाकर की पिस्टल का कॉकिंग लीवर टूट गया और इसे ठीक करने में इस 19 वर्षीय निशानेबाज को 15 मिनट से ज्यादा समय का नुकसान हुआ। इसके बाद प्रतिस्पर्धा शुरू करने पर उनकी लय प्रभावित हुई।
भाकर के पास उस समय 44 शॉट लेने के लिए 55 मिनट का समय था लेकिन बाद में उन्हें 36 मिनट के अंदर क्वालीफिकेशन दौर पूरा करना पड़ा था। बंदूक निर्माता कंपनी के मालिक फ्रांसेस्को रेपिच ने कहा कि मरम्मत के लिए उनके आदमी करीब ही थे लेकिन भारतीय शिविर से किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया।
उन्होंने सोशल मीडिया पर इस संबंध में कई पोस्ट की जो एनआरएआई को नागवार गुजरी और उसने उन्हें कानूनी नोटिस भेज दिया जिसके बाद अब उन्होंने माफी मांगी है। एनआरएआई के महासचिव डीवी सीताराम राव को भेजे गए ईमेल में रेपिच ने कहा, मैं अपने फेसबुक पेज पर असंवेदनशील टिप्पणी पोस्ट करने के लिए बिना शर्त माफी मांगना चाहता हूं।
उन्होंने आगे लिखा, आपकी भावनाओं को आहत करने के लिए मुझे बेहद खेद है। मैं समझता हूं और स्वीकार करता हूं कि मुझे अपनी बात अधिक जिम्मेदार और विवेकपूर्ण तरीके से रखनी चाहिए थी। भाकर के अलावा सौरभ चौधरी और अभिषेक वर्मा सहित कई अन्य भारतीय मोरिनी की पिस्टल का उपयोग करते हैं।
क्या खराबी आयी थी पिस्टल में
दस मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के दौरान मनु भाकर की पिस्टल का कॉकिंग लीवर टूट गया था। जिसके कारण वह अपनी गन दुबारा लोड नहीं कर पायी। एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार कॉकिंग लीवर को खोल कर ही बैरल में गन लोड करी जा सकती है। तद्पश्चात ही शूटर शॉट लगा सकता है। जब तक लीवर बंद नहीं हो जाता तब तक शॉट नहीं लगाया जा सकता। मनु भाकर के साथ ऐसा ही हुआ।
टीम के कोच और कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट रौनक पंडित ने इसको एक दुर्लभ घटना करार दिया। उन्होंने कहा कि कॉकिंग लीवर मेटल का बना होता है और इसके टूटने की उम्मीद कम होती है। हालांकि एक अतिरिक्त पिस्टल मौजूद थी।
शूटर को नही मिलता अतिरिक्त समय
नियमानुसार वैध कारण बताने पर भी निशानेबाज को अतिरिक्त समय नहीं दिया जाता। किसी भी निशानेबाज को 6 सीरीज के 60 शॉट मारने के लिए 75 मिनट का समय दिया जाता है। मनु को अंतिम 36 मिनट में 44 शॉट्स मारने थे लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उनके 17 मिनट बर्बाद गए और मानसिक एकाग्रता बनाए रखने के इस खेल में वह वापसी नहीं कर पायी।