टोक्यो ओलंपिक में इस बार वो होने वाला है, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ। दरअसल, न्यूजीलैंड की लॉरेल हबर्ड ओलंपिक इतिहास की पहली ट्रांसजेंडर एथलीट बनेंगी जो ओलंपिक में हिस्सा लेंगी। लॉरेल हबर्ड को वेटलिफ्टर महिलाओं के +87 किलोग्राम वर्ग में लड़ने के लिए चुना गया है। वाकई में लॉरेल के लिए पहली ट्रांसजेंडर खिलाड़ी के रूप में ओलंपिक में खेलने का पल सबसे अनोखा होगा।
लॉरेल हबर्ड को पिछले महीने ही टोक्यो के लिए चुनी गई न्यूजीलैंड की भारोत्तलकों की टीम का हिस्सा बनाया गया है। वह 43 साल की उम्र में इन खेलों में सबसे उम्रदराज भारोत्तलकों भी होंगी। वह दो अगस्त को आयोजित होने वाले महिलाओं के +87 किग्रा वर्ग में चौथे स्थान पर होंगी।
बता दें कि, हबर्ड ने 2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक और समोआ में 2019 प्रशांत क्षेत्रीय खेलों में गोल्ड मेडल जीता है। 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान वह गंभीर रूप से चोटिल हो गई थीं, जिसका असर उनके करियर पर भी साफ़ दिखा।
हबर्ड ने कहा, "जब मैंने तीन साल पहले राष्ट्रमंडल खेलों में अपना हाथ चोटिल करवा लिया था, तो मुझे सलाह दी गई थी कि मेरा खेल, करियर सब खत्म होने की संभावना है। लेकिन आपके समर्थन, आपके प्रोत्साहन और आपके प्यार ने मुझे अंधेरे से बाहर निकाला।"
लॉरेल हबर्ड ने साल 2013 में पुरुष की भारोत्तोलन प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया था। टोक्यो ओलंपिक में जगह बनाने के बाद उन्होंने अपने बयान में कहा था, "मैं न्यूजीलैंड के इतने सारे लोगों द्वारा मुझे दिए गए समर्थन से आभारी और विनम्र हूं।"
हबर्ड ने आठ साल पहले 35 साल की उम्र में अपना लिंग बदलवाया था, इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के ट्रांस एथलीटों के निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए बने नियमों और सभी आवश्यकताओं को पूरा किया। IOC नीति में शर्तों के साथ पुरुष से महिला बनने वालों को महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने की इजाजत मिलती है।
उन्होंने हाल ही में अपने बयान में कहा, "पिछले 18 महीनों ने हम सभी को दिखाया है कि रिश्तेदारी में, समुदाय में और एक समान उद्देश्य के लिए मिलकर काम करने में ताकत है। सिल्वर फर्न का मैना आप सभी के पास आता है और मैं इसे गर्व के साथ पहनूंगी।"