premanand ji maharaj 5 pandavas: वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज आज सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अपने प्रवचनों और सरल जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं। उनके सत्संग में हर दिन हज़ारों की भीड़ उमड़ती है, जिसमें आम लोग से लेकर बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और राजनेता तक शामिल होते हैं। लेकिन, प्रेमानंद महाराज के साथ हमेशा उनकी परछाई की तरह रहने वाले उनके पांच खास शिष्य भी अक्सर चर्चा का विषय बने रहते हैं। आइए जानते हैं, कौन हैं ये पांच शिष्य और कैसे ये प्रेमानंद महाराज के साथ जुड़े:
1. नवलनागरी बाबा:
पूर्व पेशा: भारतीय सेना में अधिकारी
पंजाब के पठानकोट के रहने वाले नवनागरी बाबा कभी भारतीय सेना में एक सम्मानित अधिकारी थे। उन्होंने 2008 से 2017 तक सेना में सेवा दी और कारगिल जैसे क्षेत्रों में भी तैनात रहे। 2016 में जब वे वृंदावन आए और प्रेमानंद महाराज के सत्संग सुने, तो उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। महाराज जी के प्रवचनों से वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने 2017 में अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी और साधु जीवन अपना लिया। आज वे महाराज जी के सबसे करीबी शिष्यों में से एक हैं और अक्सर भक्तों के सवालों को पढ़कर महाराज जी को सुनाते हैं।
2. अलबेली शरण बाबा:
पूर्व पेशा: चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA)
दिल्ली के रहने वाले अल्बेली शरण बाबा एक उच्च शिक्षित और सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। उनके परिवार में भी कई लोग इसी पेशे से जुड़े थे। लेकिन, उन्हें हमेशा से जीवन में कुछ और करने की तलाश थी। प्रेमानंद महाराज के सत्संग सुनकर उन्हें अपने जीवन का असली उद्देश्य समझ आया। उन्होंने अपनी कॉर्पोरेट लाइफ को छोड़कर भक्ति के मार्ग को चुना और महाराज जी की सेवा में खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया।
3. महामाधुरी बाबा:
पूर्व पेशा: असिस्टेंट प्रोफेसर
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से आने वाले महामाधुरी बाबा एक असिस्टेंट प्रोफेसर थे। उनका जीवन भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह चल रहा था। लेकिन, जब वे प्रेमानंद महाराज के संपर्क में आए, तो उन्हें लगा कि उनके जीवन का असली उद्देश्य अध्यात्म और भक्ति है। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर वृंदावन में रहने का फैसला किया और महाराज जी के शिष्य बनकर उनकी सेवा करने लगे।
4. श्याम सुखदानी बाबा:
पूर्व पेशा: इंजीनियर
रिश्ते में ये महाराज जी के भतीजे लगते हैं। उनका भी जन्म महराज जी के ही गांव में हुआ था। बचपन से ही वो महाराज जी की कहानियां सुनते थे और उनसे प्रेरित थे। उन्होंने दीक्षा ली और अब हमेशा महाराज जी के साथ ही रहते हैं।
5. आनंद प्रसाद बाबा:
पूर्व पेशा: बिजनेसमैन
दिल्ली के एक सफल बिजनेसमैन आनंद प्रसाद बाबा ने भी अपने व्यापार को छोड़कर प्रेमानंद महाराज की शरण ली। उनका मानना था कि असली शांति और सुख भौतिक सुख-सुविधाओं में नहीं, बल्कि ईश्वर की भक्ति और गुरु की सेवा में है।
एक ही उद्देश्य: गुरु सेवा और भक्ति
इन सभी शिष्यों की कहानियां हमें सिखाती हैं कि भक्ति का मार्ग उम्र, पेशे या सामाजिक स्थिति से परे होता है। इन सभी ने अपने सफल और आरामदायक जीवन को छोड़कर एक साधारण जीवन को अपनाया, जिसका एकमात्र उद्देश्य गुरु की सेवा और राधा रानी की भक्ति है। वे प्रेमानंद महाराज के आश्रम के सभी कार्यों को संभालते हैं और उनकी देखभाल करते हैं, जिससे महाराज जी पूरी तरह से भक्तों के कल्याण और सत्संग पर ध्यान केंद्रित कर सकें। इन 'पंच पांडवों' की कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन में आध्यात्मिकता और शांति की तलाश में हैं।