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महाकाल मंदिर में भस्म आरती के नियमों में परिवर्तन

हमें फॉलो करें महाकाल मंदिर में भस्म आरती के नियमों में परिवर्तन

WD Feature Desk

, गुरुवार, 9 जनवरी 2025 (12:10 IST)
Ujjain Bhasma Arti Offline Ticket Booking: महाकाल की 6 बार आरती होती हैं, जिसमें सबसे खास मानी जाती है भस्‍म आरती। पूरी दुनिया में यहीं पर शिवजी की भस्मारती होती है। ब्रह्म मुहूर्त में होने वाली भस्मारती में भगवान शिव को घटा टोप स्वरूप दिया जाता है। उस वक्‍त भगवान शिव दिगंबर स्‍वरूप में होते हैं। एक सूती कपड़े में भस्म को बांधकर उसे शिवलिंग पर बिखेरते हुए आरती की जाती है। पुरुष धोति पहनकर और महिलाएं साड़ी पहनकर इस आरती को केवल देख सकते हैं लेकिन करने का अधिकार केवल यहां के पुजारियों को होता है। भस्मारती में आम और खास जनों के शामिल होने को लेकर कई बार विवाद हुआ है।
 
कुछ सालों पहले तक भगवान महाकाल के गर्भगृह में जाकर दर्शन होते थे और भस्म आरती में शामिल होना आसान था। परंतु भक्तों की संख्या बढ़ने के साथ ही दर्शन करने के नियमों में परिवर्तन किया गया। गर्भगृह में जाकर दर्शन के नियम को बंद करके अब नंदी हाल से ही दर्शन किए जाते हैं। यानी भगवान महाकाल के अब दूर से ही दर्शन होते हैं। इसी तरह भस्म आरती के नियम में भी बदलाव किया गया है।
 
भस्म आरती के ऑफलाइन नियम:
  • भस्मारती के लिए अब ऑफलाइन टिकट लेने वाले श्रद्धालुओं को लंबी प्रतीक्षा से राहत मिलेगी। 
  • मंदिर प्रशासक अनुकूल जैन ने बताया, ऑफलाइन अनुमति के लिए शाम 7 बजे से रात 9 बजे के बीच फार्म दिए जाएंगे। 
  • अगले दिन आइडी की फोटो कॉपी के साथ सभी को उपस्थित होना पड़ेगा।
  • फोटो खींचकर सुबह 7 से 10 के बीच अनुमति टिकट दिए जाएंगे। 
  • भस्म आरती के लिए 300 ऑफलाइन टिकट रोज उपलब्ध रहेंगे। 
  • इनका पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर वितरण होता है। 
  • नई व्यवस्था से देर रात तक खड़े रहने की परेशानी खत्म होगी।
भस्म आरती के अन्य नियम:
  • अब भस्म आरती में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं को कलाई पर RFID बैंड बांधा जाएगा। 
  • बैंड की चेकिंग से फर्ज़ी और अनधिकृत प्रवेश पर रोक लगेगी।
  • भस्म आरती पास के लिए फ़ॉर्म लेने और जमा करने का काउंटर अब पिनाकी द्वार पर है। 
  • फ़ॉर्म दो दिन पहले रात 10 बजे से लेकर अगले दिन सुबह सात बजे के बाद जमा किए जा सकते हैं। 
  • भस्म आरती में शामिल होने के लिए अलग से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. 
  • भस्म आरती के लिए पारंपरिक पोशाक (धोती-कुर्ता, साड़ी) धारण करनी होती है। 
  • गर्भगृह में प्रवेश के लिए महिलाओं को साड़ी पहनना और पुरुषों को धोती-कुर्ता पहनना ज़रूरी है। 
  • गर्भगृह में मोजे, चमड़े के पर्स व बेल्ट, हथियार तथा मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है।
  • चलायमान भस्म आरती व्यवस्था भी लागू रहेगी। 
  • चलायमान अर्थात बिना अनुमति दर्शन करने आने वाले भक्तों को भस्म आरती में भी चलायमान दर्शन होंगे।
 
वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है, वह 3 खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्यखंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही करने दिए जाते हैं। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में और भी ऐसे मंदिर तथा देव प्रतिमाएं हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र हैं। यदि आप महाकालेश्वर के दर्शन करने जा रहे हैं तो जूना महाकाल के दर्शन जरूर करें। महाकाल के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन जरूर करना चाहिए। 

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