UN News: म्यांमार भीषण मानवीय संकट से जूझ रहा है। जहां एक ओर चक्रवात और मूसलधार बारिश से आई जानलेवा बाढ़ ने तबाही मचाई है, वहीं दूसरी ओर सैन्य संघर्ष और हिंसा लगातार बढ़ते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि बिगड़ती स्थिति की वजह से, ज़रूरी राहत कार्य बाधित हो रहे हैं, और लाखों ज़रूरतमंद लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है।
संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने गुरूवार को नियमित प्रैस वार्त में कहा कि राहत कार्यों को बिना रुकावट जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। साथ ही, हिंसा का अंत ही, इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता है। यूएन आंकड़ों के अनुसार फ़रवरी 2021 के सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक 33 लाख लोग, देश के भीतर विस्थापित हो चुके हैं। 12 लाख से अधिक लोग, देश छोड़ने को मजबूर हुए हैं, जिनमें रोहिंज्या मुसलमानों की बड़ी संख्या शामिल है।
बाढ़ का क़हर
उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने बताया कि बागो, कायेइन और मोन प्रांतों में 85 हज़ार से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। अनेक लोगों की मौत हो चुकी है, और लाखों लोग विस्थापित शिविरों में शरण ले रहे हैं।
बाढ़ से फैली गंदगी के कारण डायरिया, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, जबकि ख़सरा और पोलियो जैसे टीके से रोके जा सकने वाले रोगों के भी फैलने का ख़तरा है।
WHO ने अब तक स्वास्थ्य सेवाओं पर 27 हमलों की पुष्टि की है। संसाधनों की भारी कमी के कारण कई अस्पताल और सचल क्लीनिक बंद हो चुके हैं।
निष्पक्ष चुनाव असंभव
राजनैतिक स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र ने सेना द्वारा चुनाव कराए जाने की योजना पर गहरी चिंता जताई है, क्योंकि मौजूदा माहौल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव असंभव हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने फिर दोहराया कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की बहाली और सभी राजनैतिक बंदियों की रिहाई ज़रूरी है।
संयुक्त राष्ट्र, म्यांमार में बने रहने और ज़रूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। जुलाई तक 3 लाख से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई गई हैं, हालांकि ये लक्ष्य से बहुत कम है। फ़रहान हक़ ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र, म्यांमार में टिकाऊ शांति के लिए सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करता रहेगा।'
Edited by: Ravindra Gupta