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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF ने शुक्रवार को कहा है कि वर्ष 2023 के दौरान अभी तक 11 हज़ार 600 से अधिक बच्चे, अपने किसी व्यस्क सम्बन्धी या साथी के बिना, भूमध्य सागर पार करके इटली पहुंचे हैं, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत बढ़ोत्तरी है।
यूएन बाल एजेंसी ने बताया है कि इस महीने इटली के दक्षिणी तटवर्ती लघु द्वीपीय शहर लैम्पैडूसा पहुंचने वाले बच्चों व किशोरों की संख्या में ख़ासा उछाल आया है, जब केवल एक ही दिन में 4 हज़ार 800 लोग वहां पहुंचे।ख़बरों के अनुसार वहां स्थित एक प्रवासी पंजीकरण केन्द्र में, सितम्बर के आरम्भ में भारी भीड़ एकत्र हो गई, और सहायता व चिकित्सा कर्मियों को हज़ारों लोगों को इटली की मुख्य भूमि तक तक पहुंचाने के लिए ख़ासी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के अनुसार भूमध्यसागर में अनेक जर्जर नौकाओं के डूब जाने या दुर्घटनाएं होने से अभी तक दो हज़ार से भी अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं। अलबत्ता ये संख्या इससे कहीं अधिक होने की सम्भावना है, क्योंकि कुछ ऐसी नावें भी दुर्घटनाग्रस्त होती हैं, जिनके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं होती है।
अत्यधिक भीड़ वाली नौकाएं : यूनीसेफ़ ने ध्यान दिलाया है कि जो बच्चे ये ख़तरनाक यात्राएं करने के लिए विवश होते हैं, उन्हें ऐसी कमज़ोर और अत्यधिक भीड़ भरी नावों में रखा जाता है, जो ख़राब मौसम का सामना करने में अक्षम होती हैं। संयुक्त राष्ट्र की मानवाय सहायता एजेंसी के अनुसार देशों के स्तर पर और उनके बीच समन्वित और समुचित बचाव तालमेल नहीं होने के कारण इन बच्चों को अक्सर बेहद ख़तरनाक हालात का सामना करना पड़ता है।
युद्ध, टकराव, हिंसा और निर्धनता, ऐसे कुछ मुख्य कारण हैं जिनके कारण बच्चों को अपने देशों से अकेले ही भागने के लिए विवश होना पड़ता है। यूनीसेफ़ ने ध्यान दिलाया है कि सबूत ये दिखाते हैं कि किसी वयस्क के संग के बिना ऐसी यात्राएं करने वाले बच्चे हर पड़ाव पर शोषण और दुर्व्यवहार के शिकार होने के जोखिम का सामना करते हैं।
केन्द्रीय मार्ग पर 1000 की मौत : यूनीसेफ़ ने बताया कि वर्ष 2023 के दौरान जून से अगस्त के दरम्यान, बच्चों सहित कम से कम 990 लोगों की, केन्द्रीय भूमध्यसागरीय मार्ग से गुज़रते हुए, तो मौत हो गई या फिर वो लापता हो गए। ये संख्या पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में, कम से कम तीन गुना अधिक है, जिस दौरान 334 लोगों की मौत हुई थी।
जर्जर प्रवासन व्यवस्था : यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक और योरोप में शरणार्थी और प्रवासी मामलों के लिए विशेष संयोजक रेजिना डी डॉमिनिक्स का कहना है कि भूमध्यसागर क्षेत्र इन बच्चों और उनके भविष्य की एक क़ब्रगाह बन गया है। योरोप में शरण और सुरक्षा की तलाश में निकलने वाले बच्चों के लिए इस तरह की मुसीबतें, दरअसल एक जर्जर प्रवासन व्यवस्था और नीतिगत विकल्पों की परिणाम हैं।
यूनीसेफ़ ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की तर्ज़ पर, देशों की सरकारों से शरण और सुरक्षा की तलाश में पहुंचने वाले इस तरह के बच्चों को सुरक्षित रास्ते सुनिश्चित करने का आहवान किया है।
(Credit: UN News Hindi)