यूक्रेन पर लगभग साढ़े 3 वर्ष पहले शुरू हुए रूस के पूर्ण स्तरीय आक्रमण के कारण इस स्तर का आवासीय संकट उत्पन्न हो गया जैसा अतीत में पहले कभी नहीं देखा गया। यूएन एजेंसियों का आकलन बताया है कि युद्ध के दौरान दो लाख 36 हज़ार से अधिक इमारतें ध्वस्त हो गई हैं और 25 लाख से अधिक आवासीय इकाइयां किसी ना किसी रूप में और स्तर पर क्षतिग्रस्त हुआ हैं या वो जारी युद्ध के कारण पहुंच से बाहर हैं। ये संख्या यूक्रेन में कुल आवासीय स्थानों की लगभग 10 प्रतिशत है।
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नगरपालिकाओं द्वारा मुहैया कराए जाने वाले आवास और क़ानूनी दायरे से बाहर चल रहे किराया बाज़ार के साथ-साथ बड़े पैमाने पर लोगों के विस्थापन ने आवासीय इकाइयों की उपलब्धता और उनकी लागत पर बहुत दबाव बना दिया है।
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि युद्ध के कारण लगभग एक करोड़ 6 लाख लोग अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं, जिनमें से अधिकतर लोग देश के बाहर चले गए हैं। अन्य लाखों लोग, अपने नए आवासों का ख़र्च उठाने में संघर्ष कर रहे हैं और बहुत बहुत से लोगों के लिए, आवासों के किराए ने उनकी पारिवारिक बचत पर बहुत दबाव बनाया है। यूक्रेन में लाखों लोग, अपनी आय का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा, आवासीय लागत पर ख़र्च कर रहे हैं।
रहन-सहन पर अत्यधिक दबाव
IOM की रिपोर्ट के अनुसार मकानों के किराए ने विस्थापित लोगों पर ख़ासतौर पर अत्यधिक वित्तीय दबाव बनाया है, क्योंकि उन्हें अपनी आय का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा किराए पर ख़र्च करना पड़ रहा है। यूक्रेन में IOM की मिशन प्रमुख रॉबर्ट टर्नर का कहना है कि यह प्रवासन एजेंसी देश के भीतर ही विस्थापित हुए लोगों और उनके मेज़बान समुदायों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके तहत एक टिकाऊ भविष्य के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया, इनमें लोगों को नए कोशल सिखाना, उन्हें रोज़गारों के सम्पर्क में लाना, और उनके लिए स्थाई आवासों का प्रबन्ध करना शामिल है। मानवीय व विकास साझीदार, विस्थापित लोगों की लगातार मदद कर रहे हैं जिसमें उनके लिए, वित्तीय व क़ानूनी सहायता के ज़रिए, आवासीय इकाइयों का प्रबन्ध करना भी शामिल है।
साथ ही लोगों को आजीविकाएं अर्जित करने के लिए भी मदद दी जा रही है और नगरपालिकाओं के आवासीय नैटवर्क की मरम्मत करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के प्रयासों को समर्थन दिया जा रहा है।