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Budget Ground Report : टैक्स एक्सपर्ट और कारोबार जगत ने वित्तमंत्री को दिए 10 में सिर्फ 5 नंबर

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विकास सिंह

, शनिवार, 1 फ़रवरी 2020 (20:10 IST)
लोकसभा में वित्तमंत्री ने साल 2020-21 का बजट पेश कर दिया है। वित्तमंत्री के बजट का उद्योग और कारोबार जगत पर किया प्रभाव पड़ेगा इसको समझने के लिए वेबदुनिया ने उद्योग और कारोबार जगत के साथ टैक्स एक्सपर्ट से खास बातचीत की। बातचीत में सभी ने बजट को मिलाजुला बताते हुए कहा कि इसे 10 में से पांच नंबर ही दिए जा सकते है। 
 
CII अध्यक्ष अनिमेश जैन वेबदुनिया से खास बातचीत में कहते हैं कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया वह एक विजन डॉक्यूमेंट है। वह कहते हैं कि वित्तमंत्री ने बजट में कोई चेंजमेकर एनाउंस नहीं किया है। वह पूरे बजट को दो भागों बांटते हुए कहते हैं कि पहली भाग कृषि,शिक्षा और स्वास्थ्य सेक्टर पर फोकस करता है तो दूसरे भाग उद्योग जगत के लिए है।

वह साफ कहते हैं कि वित्तमंत्री का यह बजट अर्थव्यवस्था को फिर से विकास की पटरी पर दौड़ाने के लिए नाकाफी है, जिससे लोगों में निराशा होगी और रोजगार के अवसर नहीं बढ़ेंगे। वह वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को 10 में से केवल 5 नंबर देते है।
 
बजट पर वेबदुनिया से बात करते हुए कारोबारी सिद्धार्थ चतुर्वेदी कहते हैं बजट में वित्त मंत्री ने न्यू इकोनॉमी पर फोकस किया है, इसके लिए उन्होंने बजट में डेटा सेंटर बनाने का एलान किया है। इसके साथ ही सरकार ने एजुकेशन के बजट में पांच फीसदी की जो बढोत्तरी की है वह युवाओं के लिए काफी बड़ी सौगाता है।

सिद्धार्थ बैंकों में इश्योरेंस गारंटी को एक से बढ़ाकर पांच लाख करने को काफी अच्छा कदम बताते हुए कहते हैं कि इससे लोगों का विश्वास बढ़ेगा। वह कहते है कि बजट में ऑडिट सीमा को एक करोड़ से पांच करोड़ करने और नए स्टार्टअप के लिए 25 करोड़ तक के टर्नओवर पर सौ फीसदी डिडेक्शन को काफी अहम बताते है। वक कहते हैं कि इससे रोजगार के अवसर काफी बढ़ेंगे। सिद्धार्थ भी वित्तमंत्री के बजट को 10 में से 5 नंबर देते है। 
 
बजट पर चर्चा करते हुए चार्टर्ड एकाउंटेंट प्रदीप कहते हैं कि उनके नजरिए से एक साल नहीं तीन साल का बजट बताते है। वह कहते हैं कि बजट में इंफास्ट्रक्चर और टेक्सटाइल जैसे सेक्ट पर खासा फोकस किया गया है। वह एलाईसी और IDBI के विनिवेश के सरकार का बड़ा फैसला बताते हुए कहते हैं कि इसे सरकार का बाजार से पैसा जुटाने की कवायद बताते है।
 

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