नई दिल्ली। भारत के घरेलू दवा उद्योग ने कोविड महामारी के बाद भी अपनी वृद्धि रफ्तार को कायम रखा है और इसका बाजार वर्ष 2030 तक 130 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। मंगलवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 में यह संभावना जताई गई। भारत औषधियों के उत्पादन में आकार के हिसाब से दुनिया में तीसरे स्थान पर है जबकि कीमत के हिसाब से 14वें स्थान पर है।
आर्थिक समीक्षा के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी की वजह से आई तीव्र मांग के दौर में देश का औषधि निर्यात 24 प्रतिशत की उच्च दर से बढ़ा था। इस दौरान लगभग 150 देशों में जरूरी दवाइयों और चिकित्सा संबंधी अन्य उपकरणों की आपूर्ति की गई।
समीक्षा में कहा गया कि भारतीय दवा उद्योग ने वैश्विक औषधि उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस समय भारत औषधियों के उत्पादन में आकार के हिसाब से दुनिया में तीसरे स्थान पर है जबकि कीमत के हिसाब से 14वें स्थान पर है।
समीक्षा के मुताबिक भारत दुनिया में जेनेरिक (सस्ती) दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। भारत आकार के हिसाब से वैश्विक जेनेरिक दवा आपूर्ति का 20 प्रतिशत हिस्सा रखता है जबकि टीका उत्पादन में 60 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta