Budget 2025: बजट में महिलाओं को मिल सकता है नकद अंतरण, केंद्रीय योजना पर हो सकता है विचार
महिलाओं को नकद अंतरण एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल
Union Budget 2025: केंद्र सरकार (Central Government) के प्रस्तावित बजट 2025 (budget 2025) से पहले अर्थशास्त्रियों (economists) ने कहा कि सरकार बजट में महिलाओं की सहायता के लिए नकद अंतरण की केंद्रीय योजना लाने पर विचार कर सकती है। साथ ही अर्थव्यवस्था को गति देने और खपत बढ़ाने के लिए चाहे वह प्रत्यक्ष कर हो या फिर अप्रत्यक्ष कर, करों में कटौती पर गौर कर सकती है।
अर्थशास्त्रियों का यह भी कहना है कि ऊर्जा बदलाव और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि और तटीय गतिविधियों जैसे क्षेत्रों लिए एक नई सब्सिडी व्यवस्था की आवश्यकता है जिस पर बजट में ध्यान दिया जा सकता है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। यह उनका लगातार 8वां और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा।
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बजट में महिलाओं की सहायता के लिए नकद अंतरण की योजना : बजट में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर अर्थशास्त्री और मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रोफेसर एन.आर. भानुमूर्ति ने कहा कि बजट में महिलाओं की सहायता के लिए नकद अंतरण की केंद्रीय योजना लाने पर विचार किया जा सकता है। इसका कारण हमने अध्ययन में पाया है कि इससे वास्तव में परिवार को खासकर पोषण के मामले में ज्यादा लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि लेकिन इसे इस रूप से शुरू किया जाए जिससे राजकोष पर कोई पर बोझ न पड़े। इसके लिए हमें महिलाओं से संबंधित अन्य मिलती-जुलती योजनाओं पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।
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इस बारे में अर्थशास्त्री एवं शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि मेरे हिसाब से महिलाओं को नकद अंतरण एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है और इसे शुरू किया जा सकता है। इसका कारण यह पाया गया है कि महिलाओं को नकद हस्तांतरण योजना के परिणाम कुपोषण दूर करने, आत्मसम्मान जैसे लाभों के साथ कई अन्य योजनाओं के मुकाबले बेहतर हैं।
किसान सम्मान निधि के तहत राशि बढ़ाए जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर चतुर्वेदी ने कहा कि किसान सम्मान निधि से पूर्व में लाभ देखने को मिला है। इससे वास्तव में छोटे और सीमांत किसानों को अधिक बढ़ावा मिला है। चतुर्वेदी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) निदेशक मंडल के सदस्य भी हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार इसे कृषि से जुड़ी विनिर्मित वस्तुओं की खरीद से जोड़ सकती है ताकि कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण बढ़े। इसलिए 6,000 रुपए नकद देने के बजाय उन्हें ज्यादा राशि दी जा सकती है ताकि वे कृषि के लिए उपयोगी छोटे उपकरण खरीद सकें। इससे विनिर्माण के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस बारे में भानुमर्ति ने कहा कि हालांकि किसान सम्मान निधि एक सार्वभौमिक योजना है। इसका लाभ बड़े किसानों को भी मिल रहा है। ऐसे में इस पर अध्ययन कराए जाने की जरूरत है ताकि जिन्हें जरूरत है, उन्हें लाभ मिले और अध्ययन के बाद ही इस मद में दी जाने वाली राशि बढ़ाने या घटाने पर विचार किया जाना चाहिए।
कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण में वृद्धि की आवश्यकता : लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण में वृद्धि की आवश्यकता है। लक्षित नकद हस्तांतरण कृषि क्षेत्र में समस्याओं को हल करने के लिए केवल अस्थायी समाधान हो सकता है। इसके साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देखते हुए कृषि क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।
अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कर का बोझ कम हो सकता है : बजट में कर के मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति ने कहा कि वित्तमंत्री क्या करेंगी, इस बारे में मैं अनुमान नहीं लगाया जा सकता। हालांकि यह सही है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कर का बोझ कम किया जा सकता है। चाहे वह अप्रत्यक्ष कर हो या प्रत्यक्ष कर। वैसे मेरा मानना है कि अप्रत्यक्ष कर (जीएसटी) में कटौती ज्यादा जरूरी है क्योंकि इसका प्रभाव सभी पर पड़ेगा।
जीएसटी को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान देने की जरूरत : उन्होंने कहा कि आप जानते हैं, आयकर 6 से 7 प्रतिशत लोग देते हैं। इसलिए अगर आप प्रत्यक्ष कर में कटौती करते हैं तो आप केवल 6 से 7 प्रतिशत लोगों को ही लाभ पहुंचा रहे हैं। मेरे हिसाब से जीएसटी अर्थव्यवस्था में खपत के मुद्दे से निटपने का एक बेहतर तरीका है। इस बारे में चतुर्वेदी ने भी कहा कि आयकर में कटौती का किसी को कोई खास लाभ नहीं मिलेगा। शुल्क दरों में कमी और जीएसटी को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है।
चक्रवर्ती ने कहा कि कर दरों में कटौती से लोगों के हाथ में खर्च योग्य आय बढ़ सकती है जिससे मांग को बढ़ावा मिलेगा। मुझे उम्मीद है कि इस बजट में कर राहत की कोई घोषणा की जाएगी। एक अन्य सवाल के जवाब में चतुर्वेदी ने कहा कि भारत ने चुनावी वर्षों में भी राजकोषीय समझदारी का परिचय दिया है इसलिए घाटा कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है। हालांकि ऊर्जा बदलाव और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि तथा तटीय गतिविधियों जैसे क्षेत्रों लिए एक नई सब्सिडी व्यवस्था की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हमें अधिक ऊर्जा दक्षता की आवश्यकता है। भारत समान मात्रा में उत्पादन के लिए अपने समकक्ष देशों की तुलना में 2.5 गुना अधिक ऊर्जा खर्च करता है। हमारी कंपनियों को इस बदलाव को हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए नई बजटीय योजनाओं की आवश्यकता है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta