बजट में सीमा शुल्क स्लैब को 40 से घटाकर 5 करने और शुल्क ढांचे को आसान बनाने का सुझाव
कहा कि अब शुल्क के पुनर्मूल्यांकन का वक्त आ गया है
Union Budget 2025: शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने सोमवार को कहा कि आगामी बजट में सरकार को सीमा शुल्क (customs duty) स्लैब को 40 से घटाकर 5 करके शुल्क संरचना आसान बनाने के साथ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आयात (import) बिलों में कटौती, विनिर्माण एवं निर्यात को बढ़ाने के लिए कच्चे माल पर कम कर लगाया जाए।
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भारत के सीमा शुल्क ढांचे को परिष्कृत करने की मांग : जीटीआरआई ने एक रिपोर्ट में भारत के सीमा शुल्क ढांचे को परिष्कृत करने, अंतरराष्ट्रीय जांच से बचने और शुल्क को राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप रखने के लिए शुल्क नीतियों की अंतर-मंत्रालयी समीक्षा की मांग की। जीटीआरआई ने देश के औसत सीमा शुल्क को लगभग 10 प्रतिशत तक कम करने का सुझाव देते हुए कहा कि इस मकसद को किसी बड़े राजस्व नुकसान के बगैर भी हासिल किया जा सकता है।
सीमा शुल्क की हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 6.4 प्रतिशत रही : फिलहाल 85 प्रतिशत शुल्क राजस्व केवल 10 प्रतिशत आयात शुल्क श्रेणियों से आता है जबकि 60 प्रतिशत शुल्क श्रेणियों का राजस्व में 3 प्रतिशत से भी कम अंशदान है। रिपोर्ट के मुताबिक सीमा शुल्क की भारत के सकल कर राजस्व में हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 6.4 प्रतिशत रह गई है जबकि कॉर्पोरेट कर (26.8 प्रतिशत), आयकर (29.7 प्रतिशत) और जीएसटी (27.8 प्रतिशत) इससे काफी आगे हैं।
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जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि सीमा शुल्क की घटती हिस्सेदारी के बीच घरेलू विनिर्माण एवं वैश्विक व्यापार का समर्थन करने के लिए एक रणनीतिक साधन के तौर पर अब शुल्क के पुनर्मूल्यांकन का वक्त आ गया है। रिपोर्ट को श्रीवास्तव ने व्यापार विशेषज्ञ सतीश रेड्डी के साथ मिलकर तैयार किया है।
रिपोर्ट कहती है कि सीमा शुल्क के स्लैब को 40 से घटाकर 5 पर लाना, अधिकतम शुल्क को 50 प्रतिशत पर सीमित करना और यह सुनिश्चित करना कि कच्चे माल पर तैयार माल की तुलना में कम कर लगाया जाए, आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगा, आयात निर्भरता को कम करेगा और निर्यात बढ़ाने में मदद करेगा।
रिपोर्ट में स्थानीय पूंजीगत उत्पाद निर्माताओं और 'मेक इन इंडिया' को समर्थन देने के लिए गोदामों के लिए संचालित एमओडब्ल्यूआर योजना के तहत आईजीएसटी, उपकर और मूल सीमा शुल्क छूट को समाप्त करने का भी सुझाव दिया गया है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta