वाराणसी। उत्तर प्रदेश के बनारस में जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी अपनों से ही संघर्ष करती नजर आ रही है तो वहीं एक वर्ग ऐसा है जो खुलकर नहीं, दबे मन कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी व नरेंद्र मोदी से नाखुश है, अगर इसी वर्ग के जुड़े जानकार की मानें तो इस वर्ग के लोगों को भारतीय जनता पार्टी व जब नरेंद्र मोदी सांसद बने काफी उम्मीदें थीं लेकिन उनकी उम्मीदों पर खरे ना उतर सके नरेंद्र मोदी।
आइए, बताते हैं वह कौन सा वर्ग है, जो कहीं ना कहीं दबे मन नरेंद्र मोदी व भारतीय जनता पार्टी से नाखुश है। हम बात कर रहे हैं बनारस के एक और पिछड़ी जाति मल्लाह की। मल्लाह परंपरागत रूप से गंगा नदी में नाव चलाने का काम करते हैं और इस समय भारतीय जनता पार्टी से यह वर्ग खासा नाराज है क्योंकि केंद्र द्वारा एक नई योजना के तहत दशाश्वमेध घाट पर दैनिक सांध्य-पूजन के दर्शन के लिए एक खास किस्म का छज्जा बनवाया जाना है, जिसके चलते इस जाति की जीविका को खतरा पैदा हो गया है।
अब तक लोग नाव पर सवार होकर ही संध्या-पूजन के वक्त का आकर्षक दृश्य देखते आए हैं, तो वहीं दूसरी स्कीम ई-बोट की है, जिसके चलते मल्लाहों को सोलर बैटरी भाड़े पर लेकर नाव चलानी पड़ रही थी, लेकिन चुनाव नजदीक आता देख और बनारस में उग्र विरोध के चलते घबराहट में इस योजना को अभी बंद कर दिया गया है लेकिन कहीं ना कहीं मल्लाहों के अंदर अभी भी इस योजना को लेकर डर व्याप्त है जिसके चलते अंदरखाने भारतीय जनता पार्टी के प्रति थोड़ी सी नाराजगी है तो दूसरा मुख्य कारण लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि निषाद जाति को अनुसूचित जाति में शामिल कर आरक्षण दिया जाए।
वे इस बात को लेकर नाराज चल रहे हैं कि मोदी सरकार ने उनकी इस मांग को पूरा करने की दिशा में कुछ नहीं किया। बनारस से जब संसदीय चुनाव हो रहे थे तो बड़ी उम्मीद के साथ यह सभी नरेंद्र मोदी व भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़े थे, लेकिन अब देखना है कि 3 दिन के प्रवास के बाद क्या नरेंद्र मोदी इन लोगों को मनाने में कामयाब हो पाए हैं? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।