फैजाबाद। भारतीय जनता पार्टी ने फैजाबाद की पांचों विधानसभा सीटों में से रुदौली विधानसभा सीट से रामचन्द्र यादव की उम्मीदवारी की घोषणा सबसे पहले अपनी पहली सूची में ही क्यों कर दी, जबकि यहां की कई सीटों से नाम अभी भी नहीं घोषित हुए?
पार्टी के लिए 2012 के चुनाव फैजाबाद की पांचों विधानसभा सीटों यहां तक कि भाजपा की प्रतिष्ठा की सीट अयोध्या विधानसभा भी उसके हाथ से निकल चुकी थी, तब एकमात्र रुदौली विधानसभा सीट ही थी जिस पर रामचन्द्र यादव ने बड़े कांटे के मुकाबले से जीत दर्ज कर भाजपा की लाज बचाई थी और इस बार शायद पार्टी ने इसीलिए रामचन्द्र यादव की उम्मीदवारी की घोषणा सबसे पहले कर दी। अन्य सीटों की अपेक्षा इस पर उम्मीदवारी को लेकर कोई विवाद भी नहीं है और पार्टी को लगता है कि राम ही करेंगे बेड़ा पार।
अब रामचन्द्र के इतिहास की हम बात करें तो रामचन्द्र यादव वर्तमान में रुदौली विधानसभा से भाजपा के विधायक हैं। रामचन्द्र यादव के राजनीतिक गुरु स्व. मित्रसेन यादव रहे। उन्होंने ही रामचन्द्र को सर्वप्रथम वर्ष 1998 में हुए उपचुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा से समाजवादी पार्टी से विधायक बनवाया।
लेकिन वर्ष 2002 में रामचन्द्र यादव मित्रसेन यादव से बगावत कर अलग हो गए व वर्ष 2004 के उपचुनाव में दोबारा सपा से विधायक चुने गए। इसके उपरांत वे 2012 में भाजपा में शामिल हो गए व रुदौली विधानसभा चुनाव क्षेत्र, जो कि मुस्लिम बाहुल्य है, से तीसरी बार समाजवादी पार्टी के अब्बास अली रुश्दी को कड़े मुकाबले में मात्र 941 मतों से हराकर भाजपा की विजय पताका फहराई।
2012 के चुनाव में चौथे स्थान पर रही कांग्रेस को 13,574 वोट मिले थे और इस बार के चुनाव में सपा व कांग्रेस का गठबंधन हो गया है जिसके बाद भाजपा की राह और मुश्किल हो गई है। किंतु भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि बसपा ने, जो कि पिछले चुनाव में तीसरे नंबर पर थी, इस बार इस विधानसभा से सशक्त मुश्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है, साथ ही बसपा के पूर्व घोषित प्रत्याशी सर्वजीत सिंह पार्टी छोड़ भाजपा में अपने समर्थकों सहित शामिल हो गए हैं।
रामचन्द्र यादव का दावा है कि हमने काम किए हैं और हम जीतेंगे, जबकि प्रबल प्रतिद्वंदी सपा प्रत्याशी रुश्दी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।