झांसी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का शंखनाद होने के साथ ही नेताओं के बीच प्रतिबद्धताएं बदलकर सत्ता सुख की बड़ी संभावनाओं की आस में पार्टियां बदलने का क्रम शुरू हो गया है और झांसी विधानसभा की चारों सीटें भी इसका कोई अपवाद नहीं हैं। यहां भी सत्ता सुख पाने के लिए समय-समय पर पार्टियां बदलने वाले नेताओं की लंबी सूची रही है।
हाल ही में मऊरानीपुर विधानसभा क्षेत्र की पूर्व कद्दावर विधायक डॉ. रश्मि आर्य ने समाजवादी पार्टी (सपा) का साथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। सपा के सत्ता में रहने के दौरान रश्मि के परिवार के पास कई पद रहे थे लेकिन फिलहाल उन्होंने भाजपा का साथ बेहतर माना है, हालांकि इसके संकेत काफी पहले से ही देने भी शुरू कर दिए थे।
इस सीट पर सपा को लगे इस झटके से उबरने के लिए सपा ने बसपा से आए पूर्व एमएलसी पर विश्वास जताना भी शुरू कर दिया था। भाजपा में शामिल होने के बाद सभी दलों में उथल-पुथल मची हुई है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें भाजपा से उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है।
दल बदलने की दौड़ में रतनलाल अहिरवार का कोई सानी नहीं है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत भाजपा से की थी। पार्टी के टिकट पर वे बबीना से विधायक भी चुने गए। बाद में उन्होंने सपा का दामन थाम लिया और एक बार फिर से विधायक बने। साइकल की सवारी उन्हें लंबे समय रास नहीं आई और एक बार फिर वे जा पहुंचे हाथी की सवारी करने।
बसपा के टिकट पर भी वे 2007 में बबीना विधानसभा का चुनाव जीते और मायावती ने तो उन्हें राज्यमंत्री भी बनाया था, लेकिन हाथी पर भी उन्हें लंबे समय तक बैठना रास नहीं आया और एक बार फिर वे अपनी पुरानी पार्टी भाजपा में शामिल हो गए।
भाजपा के साथ भी उनका ज्यादा समय तक रिश्ता चला नहीं और एक बार फिर बसपा में शामिल हो गए। वर्तमान में रतनलाल बसपा में हैं और उनके बेटे रोहित रतन को मऊरानीपुर विधानसभा सीट से बसपा का प्रत्याशी बनाया गया है।
एक समय तक बसपा के कद्दावर नेताओं में शुमार और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबी माने जाने वाले पूर्व एमएलसी तिलक चंद्र अहिरवार भी अब साइकल चलाने लगे हैं। बसपा छोड़ सपा का दामन थामने के तौहफे के रूप में उन्हें सपा का प्रदेश महासचिव भी बनाया गया है। अब वे मऊरानीपुर विधानसभा सीट के सशक्त दावेदार माने जा रहे हैं।
ऐसे ही एक और नेता हैं बबीना के पूर्व विधायक सतीश जतारिया जो पिछले दिनों अखिलेश यादव के समक्ष सपा में शामिल हो गए थे। सतीश बसपा से बबीना से विधायक चुने गए थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले वो सपा में शामिल हो गए हैं।
पार्टी छोड़ने में महिला नेता भी पीछे नहीं हैं। झांसी की जानी मानी महिला नेता और वर्तमान में विधान परिषद की सदस्य रमा निरंजन भी पार्टी बदल चुकी हैं। वे साइकल पर सवार हो विधान परिषद पहुंचीं, लेकिन हाल ही में उन्होंने भी भाजपा का दामन थाम लिया है।
ऐसे ही बबीना से बसपा के टिकट पर विधायक रहे कृष्णपाल राजपूत ने भी हाथी से उतारे जाने के बाद कमल थाम लिया है। बात अगर मऊरानीपुर सीट की करें तो मौजूदा विधायक बिहारीलाल आर्य ने पिछले चुनावों से पहले कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का कमल थाम लिया था। फिलहाल उनके वापस कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें जोर पर हैं।
बृजेंद्र व्यास जो डम डम महाराज के नाम से भी जाने जाते हैं, उन्होंने बसपा के टिकट पर गरौठा से विधानसभा का चुनाव जीता था, लेकिन इसके बाद भी झांसी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़े। चुनाव के बाद उनकी फिर से बसपा में वापसी हो गई थी। महापौर का पिछला चुनाव उन्होंने हाथी चुनाव चिह्न के साथ लड़ा था। वर्तमान में वे कांग्रेस के साथ दिखाई दे रहे हैं, लेकिन उनके भाजपा में जाने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।(वार्ता)