लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव शनिवार को सर्वसम्मति से उत्तरप्रदेश में पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए। इसमें अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव को नहीं बुलाया गया। समाजवादी पार्टी के विधायकों की बैठक में यह फैसला किया गया लेकिन उनके चाचा यानी शिवपाल सिंह यादव उस बैठक में नहीं नजर आए। चाचा शिवपाल फिर पराए हो गए। शिवपाल को बुलाए जाने के सवाल पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि सहयोगी दलों की बैठक 28 मार्च को बुलाई गई है। इसमें सभी सहयोगी दलों के विधायकों को बुलाया जाएगा।
चाचा बोले नहीं बुलाया गया : पार्टी विधायक दल की बैठक में सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुझे पार्टी की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। मैंने 2 दिनों तक प्रतीक्षा की और इस बैठक के लिए अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए लेकिन मुझे आमंत्रित नहीं किया गया। मैं समाजवादी पार्टी से विधायक हूं लेकिन फिर भी आमंत्रित नहीं किया।
सपा की उत्तरप्रदेश इकाई के प्रमुख नरेश उत्तर ने नवनिर्वाचित विधायकों की यहां पार्टी मुख्यालय में हुई पहली बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि अखिलेश यादव को पार्टी विधायक दल का नेता चुनाव गया है। इसके साथ ही वे राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने को तैयार हैं।
हालिया सम्पन्न विधानसभा चुनाव में करहल सीट (मैनपुरी में) से 67 हजार मतों के अंतर से विजयी अखिलेश ने पिछले दिनों अपनी लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं। वर्ष 2012 में अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कमान सौंपी थी। अखिलेश यादव ने हालिया सम्पन्न विधानसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी ।
एक जुलाई 1973 को सैफई में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पुत्र के रूप में जन्मे अखिलेश यादव ने बहुत कम उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और 2000 में कन्नौज संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का उपचुनाव जीतकर सांसद बने।
अखिलेश यादव ने 2017 में कांग्रेस पार्टी से गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन मात्र 47 सीटें ही सपा को मिल सकी और कांग्रेस भी सात सीटों पर सिमट गई। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यादव ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया और तब बसपा को 10 सीटों पर जीत मिली, लेकिन सपा को मात्र पांच सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।
यादव ने बड़े दलों से गठबंधन कर असफलता का स्वाद चखने के बाद पहली बार छोटे-छोटे दलों से गठबंधन किया। उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल (कमेरावादी), महान दल, जनवादी सोशलिस्ट और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के साथ गठबंधन किया। ये सभी दल जातीय जनाधार रखने वाले नेताओं क्रमश: ओमप्रकाश राजभर, कृष्णा पटेल, डॉक्टर संजय चौहान और शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं।
अति पिछड़े वर्ग के इन नेताओं को साथ जोड़ने के अलावा यादव ने योगी सरकार पर पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाकर मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी को भी सपा में शामिल किया।
राजस्थान के धौलपुर के मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई करने वाले अखिलेश यादव ने सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से पर्यावरण इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री भी प्राप्त की है। उनकी धर्मपत्नी डिंपल यादव कन्नौज की पूर्व सांसद हैं और दोनों की दो बेटियां और एक बेटा है।
2012 में, सपा की युवा शाखा के प्रमुख और फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल के बाद वे अपने पिता के आशीर्वाद से 2012 में 38 साल की उम्र में राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बन गए। इसके पहले उन्होंने बदलाव के लिए पूरे प्रदेश में साइकिल यात्राओं का नेतृत्व किया था। जनवरी 2017 में पार्टी के एक आपातकालीन सम्मेलन में सपा संस्थापक मुलायमसिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर पार्टी का 'संरक्षक' बनाया गया था।