Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

UP की महिलाएं क्या सोचती हैं? किसके सिर बांधेंगी जीत का सेहरा

हमें फॉलो करें UP की महिलाएं क्या सोचती हैं? किसके सिर बांधेंगी जीत का सेहरा

हिमा अग्रवाल

, गुरुवार, 13 जनवरी 2022 (11:50 IST)
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने महिलाओं की 40 प्रतिशत भागेदारी रेखांकित करते हुए एंट्री की है। प्रियंका गांधी ने नारा दिया है, लड़की हूं...लड़ सकती हूं... उनका यह नारा यूपी में जोर-शोर से गूंज रहा है।
ALSO READ: राजभर का दावा- 20 जनवरी तक योगी सरकार के 18 मंत्री देंगे इस्तीफा
प्रियंका के एक स्लोगन ने जहां आधी आबादी के हृदय को स्पर्श किया है, वहीं सभी दलों को इस पिच पर चुनावी बैटिंग करने को मजबूर किया है। हालांकि अभी कांग्रेस का चुनावी रथ अन्य दलों और उनके गठबंधनों से बहुत पीछे नजर आता है लेकिन प्रियंका गांधी ने 'एकला चलो' के मंत्र को आत्मसात कर वेंटीलेटर पर पहुंच चुकी कांग्रेस को प्राणवायु देकर उम्मीद की किरण दिखाई है। 
webdunia
कांग्रेस का फोकस : प्रियंका गांधी का फोकस मृत समान पड़े कांग्रेस के संगठन को फिर से मजबूत करना है लेकिन उनका नेरेटिव- लड़की हूं लड़ सकती हूं, इस समय महिलाओं के दिमाग में दस्तक जरूर दे रहा है। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में महिलाओं के उन्नयन के लिए घोषणा-पत्र लाकर राजनीति में महिलाओं की असरदार भागीदारी को सुनिश्चित करने की दिशा में प्रभावशाली पहल की है। आज सभी पार्टियों को सजग दिखने की कवायद करनी पड़ रही है और वे महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए सजग नजर आ रहे हैं। चुनाव के परिणाम कुछ भी आएं लेकिन प्रियंका ने अपने वजूद का अहसास सबको करा दिया है।
 
चुनाव में बना कोर फैक्टर : उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मुद्दा आज कोर फैक्टर बन चुका है। निरंतर सभी पार्टियां अब आधी आबादी को फोकस करने लगी हैं और हर कोई यह साबित करने में जुटा है कि महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा और उनका उन्नयन उनकी पार्टी की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। महिलाएं भले ही साइलेंट दिख रही हैं लेकिन हर महिला को यह अहसास है कि स्त्रीशक्ति अगर सिर्फ औरत के रूप में स्वयं को देखे तो औरतें हवा के रुख को मनचाही दिशा में बदल सकती हैं।
webdunia
भाजपा की भी नजर : भाजपा ने प्रियंका के इस मुद्दे की गंभीरता को भांपकर चुनाव प्रचार और घोषणाओं में स्त्री शक्ति को खास अहमियत देना शुरू कर दिया है। भाजपा ने महिला मतदाताओं को साधने के लिए अपनी नेत्रियों को सामने लाने का प्रयास शुरू किया है लेकिन उनके पास स्मृति ईरानी को छोड़कर उत्तरप्रदेश में कोई दमदार चेहरा नहीं है।
 
भले ही भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अभिनव प्रकाश बेबी रानी मौर्या, स्वाति सिंह और अदिति सिंह का नाम जोड़ें लेकिन सही मायनों में इनका कोई असर स्त्री समुदाय पर नहीं है।
 
 स्मृति ईरानी ने प्रदेश के जिलों में घूमना शुरू कर दिया है, अभी कुछ दिन पहले वे मेरठ मेडिकल कॉलेज में आयी और कोरोना वार्ड निरीक्षण के दौरान नर्स का हाथ थाम लिया, जिसके बाद पूरा स्टाफ स्मृति रानी का कायल हो गया। उनका व्यक्तित्व प्रभावशाली है लेकिन प्रियंका का सम्मोहन भी गौरतलब है।
 
भाजपा के पास नेत्रियों की फौज : भारतीय जनता पार्टी के पास कई प्रभावशाली महिला नेत्रियां हैं, जिनमें भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष और सांसद गीता शाक्य, प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी, पूर्व सांसद और महामंत्री प्रियंका रावत, सहित साध्वी निरंजन ज्योति के नाम प्रमुख हैं। 
 
कल्याणकारी योजनाएं : दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगीनाथ बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग और कल्याणकारी योजनाओं के साथ महिलाओं के बिखरे वोट को एक करने की पुरजोर कोशिश कर रहे है। मुफ्त राशन, मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने के लिए उज्ज्वला योजना, कोरोना में महिलाओं के खाते में पैसा देना, योगी-मोदी आवास योजना, अस्पतालों में आरोग्य योजना जैसी सकारात्मक पहल भाजपा की राह आसान बना सकती है। 
 
इसी क्रम में यूपी में महिलाओं को भय मुक्त शासन, महिला सशक्तिकरण के जरिए स्वाभिमान देना, हर थाने में महिलाओं के लिए अलग से हेल्प डेस्क बना का सुरक्षा का वायदा, सड़कों पर घूमने वाले मनचलों पर लगाम, अपराधियों का एनकाउंटर और जेल की जैसी उपलब्धियों के जरिए महिला वोटर को साधने का प्रयास बीजेपी कर रही है। भले ही महिला मतदाता बीजेपी राज में कमर तोड़ देने वाली मंहगाई से नाराज हैं, लेकिन वह हिन्दुत्व के नाम पर बीजेपी के साथ खड़े होने की बात कर रही है।
webdunia
सपा ने डिंपल को दी जिम्मेदारी : कांग्रेस के महिला कार्ड के जवाब में सपा के पूर्व अखिलेश यादव ने महिलाओं को साधने की जिम्मेदारी अपनी पत्नी डिंपल यादव को सौंपी है। पर उनके विरोधी यह भी बता रहे हैं कि 2010 में सपा ने संसद में महिला आरक्षण विधेयक का विरोध किया था। पर अब जब महिलाएं चुनाव परिणामों को प्रभावित कर रही हैं, तो अखिलेश को महिलाओं की अहमियत समझ में आने लगी है, उन्हें आधी आबादी की चिंता सता रही है। महिला वोटरों को साधने की ये जिम्मेदारी डिंपल यादव के कंधे पर है। वही महिला सभा की अध्यक्ष जूही सिंह भी यूपी के जिलों में जाकर महिलाओं से संवाद कर रही हैं। 
 
सपा सरकार में चलाई योजनाओं की जानकारी दे रही है, बता रही है सपा सरकार में अखिलेश यादव ने महिलाओं के लिए समाजवादी पेंशन योजना शुरु की थी। यदि इस बार फिर से यूपी में उनकी सरकार आएगी तो फिर से इस पेंशन को शुरू किया जाएगा।
webdunia
बसपा का प्रबुद्ध महिला सम्मेलन : इसी तरह उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख राजनीतिक दल बहुजन समाजवादी पार्टी में बहन मायावती खुद बड़ा चेहरा हैं, लेकिन पहली बार मायावती के अलावा सतीश मिश्रा की पत्नी कल्पना मिश्रा भी प्रबुद्ध महिला सम्मेलन के जरिए महिलाओं को जोड़ने का काम कर रही हैं। कुल मिलाकर प्रियंका की पिच पर सभी राजनीतिक दल चुनावी खेल खेलने को मजबूर हो गए हैं?
 
क्या रहा है वोट प्रतिशत : उत्तरप्रदेश 2017 के विधानसभा चुनावों में 403 सीटों के लिए करीब 4 करोड़ महिलाओं ने वोट दिया था। और 40 महिलाएं चुनी गई थी, महिला मतदाताओं की ये संख्या पुरुषों मतदाताओं के मुकाबले 4% अधिक थी। 2017 में पुरुषों के 59 प्रतिशत के मुकाबले 63% महिलाओं ने वोट कर अपनी ताकत का एहसास करा दिया था। इससे पहले 2012 में 36 महिलाएं चुनी गई थीं। मतलब औसतन 10 से 15 फीसदी के करीब महिलाओं की भागीदारी रही।
 
2017 में महिला वोटर्स की अहमियत को भांपते हुए कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने 40% महिलाओं की चुनाव में भागेदारी की ताल ठोंक दी है। प्रियंका ने अपना फोकस जातिगत रणनीति की बजाय महिलाओं पर रखा है, उनका कहना है कि वे अकेले ही दबी और पीड़ित महिलाओं को चुनाव में प्रमुखता देंगी।
 
2017 और 2019 के चुनाव में बीजेपी की जीत में महिला मतदाताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तभी तो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हें साइलेंट वोटर का नाम दिया था। इस चुनाव में जिन लोगों ने इन महिला मतदाताओं को आईने में उतार लिया तो वह तर जायेगा। देखना होगा कि हिन्दुत्व और महिला सुरक्षा की दुहाई देकर भाजपा की चुनावी नैय्या पार होती है या नही। प्रियंका गांधी इसका कितना एडवांटेज ले पाती हैं! इसका पता तो चुनाव परिणामों या पोलिंग बूथ की कतारों से ही पता चलेगा। देखते हैं कि यूपी 2022 चुनाव में मातृ शक्ति जीत का आशीर्वाद किसे देती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चुनाव से पहले BJP में भगदड़, क्या पार्टी संगठन है नेताओं के मोहभंग का जिम्मेदार