कोरोनाकाल के भयानक दौर के बीच देश की जनता पर महंगाई की दोहरी मार पड़ रही है। बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2021 में खुदरा महंगाई दर 5.59 प्रतिशत हो गई, जो 6 माह का उच्चतम स्तर है। तेल, चीनी, फल, ईंधन, कपड़े सभी के दामों में बढ़ोतरी हुई है। 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सुरसा के मुंह के समान बढ़ती महंगाई भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है।
बढ़ती महंगाई ने विपक्ष को एक बड़ा हथियार दे दिया है। कांग्रेस ने अपने नेताओं से भी कहा कि वे महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएं। उसने नवंबर से ही महंगाई के खिलाफ रैली निकाली शुरू कर दी है।
समाजवादी पार्टी से लेकर बसपा ने भी महंगाई पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। चुनावों में महंगाई का मुद्दा भाजपा के लिए परेशानी बन सकता है। भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि 1998 में दिल्ली में प्याज की कीमतों को लेकर कांग्रेस ने भाजपा की सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था।
2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के समय औसतन महंगाई दर 10.92 फीसदी थी। और 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। चुनावों में महंगाई का मुद्दा भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगा। अब देखना है कि पार्टी के नेता इस मुद्दे से ध्यान हटाकर वोटरों को अपनी ओर खींचते हैं।