नई दिल्ली। नए साल 2020 में सरकार नए श्रम कानून लागू कर सकती है। इससे कर्मचारियों की सैलरी से लेकर उनकी छुट्टियां और काम के घंटों में भी बदलाव हो जाएगा। इसके मुताबिक हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी होगी। इसमें काम के घंटे 8 की बजाय 12 हो जाएंगे। हालांकि श्रम मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हफ्ते में 48 घंटे कामकाज का नियम ही लागू रहेगा।
इसमें यह सुविधा भी होगी कि जहां 8 घंटे काम कराया जाएगा, वहां 1 दिन छुट्टी होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि कम से कम 13 राज्यों ने इन कानूनों के मसौदा नियमों को तैयार कर लिया है। इस नई श्रम सहिता में कई ऐसे प्रावधान हैं जिससे ऑफिस में काम करने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों से लेकर मिलों और फैक्टरियों में काम कर वाले मजदूरों तक पर असर पड़ेगा।
केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर श्रम संहिता के मसौदा नियमों को कम से कम 13 राज्य तैयार कर चुके हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि नए कानून से कर्मचारियों के मूल वेतन (बेसिक) और भविष्य निधि (पीएफ) की गणना के तरीके में बड़ा बदलाव आएगा। इससे एक तरफ कर्मचारियों के पीएफ खाते में हर महीने का योगदान बढ़ जाएगा लेकिन हाथ में आने वाला वेतन (टेक होम) घट जाएगा। नई श्रम संहिता में भत्तों को 50 फीसदी पर सीमित रखा गया है। इससे कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 फीसदी मूल वेतन हो जाएगा।
पीएफ की गणना मूल वेतन के फीसदी के आधार पर की जाती है जिसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता शामिल रहता है। ऐसे में अगर किसी कर्मचारी वेतन 50 हजार रुपए प्रति माह है तो उसका मूल वेतन 25 हजार रुपए हो जाएगा और बाकी के 25 हजार रुपए में भत्ते शामिल होंगे। मूल वेतन बढ़ने से कर्मचारी की ओर से पीएफ ज्यादा कटेगा और कंपनी का अंशदान भी बढ़ेगा।