Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

How to Study Law : गिरफ्तारी के संबंध में क्या कहता है कानून

Advertiesment
हमें फॉलो करें How to Study Law : गिरफ्तारी के संबंध में क्या कहता है कानून
webdunia

प्रियंका अथर्व मिश्र

जो जीवन में दूसरों के प्रति न अपने अधिकार मानता है, न कर्तव्य, वह पशु के समान है- कन्हैया लाल जी मिश्र ‘प्रभाकर’ ने अपनी पुस्तक ‘जिएं तो ऐसे जिएं’में कितना प्रासंगिक लिखा था। क्योंकि न्याय कई बार अन्याय साबित होता है, कई बार दोषी को सजा देने के लिए निर्दोष भी अनजाने में ही सजा का भोगने का दोषी हो जाता है। कई बार गलतफहमी में किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी हो जाती है और भारतीय कानून ऐसे ही गिरफ्तार व्यक्तियों को कई विशेष अधिकार प्रदान करते हैं, सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिनकी जानकारी हर आम नागरिक को होना चाहिए ये अधिकार इस प्रकार हैं-
 
1. भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 50 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार होने का आधार सूचित किया जाना चाहिए। यदि वह गैर जमानती अपराध के अभियुक्त व्यक्ति से अलग किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करते हैं तो व्यक्ति को सूचना देगा कि वह जमानत पर छोड़ा जा सकता है और अपनी तरफ से प्रतिभुओं(sureties)का इंतजाम करें।  
 
2. इसी प्रकार धारा 50 (क) जो कि 2005 में संशोधन द्वारा जोड़ी गई उसके अनुसार पुलिस या अन्य व्यक्ति जो गिरफ्तार कर रहा है, गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार एवम् मित्रों को उस जगह की सूचना दे जहां उस गिरफ्तार व्यक्ति को रखा गया है। 
 
3. धारा 55(क) के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति के स्वास्थ्य एवम् सुरक्षा का पूरा पूरा ध्यान रखा जाए। 
 
4. धारा 57 व धारा 76 के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटों से अधिक निरुद्ध(DETAINED)नहीं रखा जाए यदि 24 घंटे से ज्यादा रखना हो तो धारा 167 का पालन करते हुए मजिस्ट्रेट से अनुमति ली जाए। 
 
5. धारा 56 के अनुसार गिरफ्तार किए व्यक्ति की मजिस्ट्रेट या पुलिस भारसाधक (OFFICER IN CHARGE) के समक्ष बिना विलंब के हाजरी। 
 
6. पुलिस अपनी अपनी सीमाओं के अंदर बिना वारंट के गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना जिला मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट करेंगे, भले ही उनकी जमानत ली हो या नहीं
 
7. धारा 41 (घ) के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति को परिप्रश्नों ( interrogation)के दौरान अपने पसंद के वकील से मिलने का अधिकार।  
 
8. जब तक जरुरी न हो तब तक किसी भी महिला की गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहले नहीं की जाएगी और महिला पुलिस की उपस्थिति में लिखित रिपोर्ट करके मजिस्ट्रेट के पूर्व आदेश के बिना नहीं की जाएगी। 
 
9. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार सभी व्यक्तियों को विधि के समक्ष समान अधिकार प्राप्त है व दोनों पक्षकार को समान अधिकार प्राप्त है। 
 
10. धारा 303 व संविधान के अनुच्छेद 22(1) के अनुसार गिरफ्तार व्यक्तियों को अपने वकील द्वारा प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त है। 
 
11. धारा 358 के अनुसार निराधार गिरफ्तार व्यक्ति को मुआवजा देने का अधिकार। 
 
12. अनुछेद 22(3) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपने स्वयं के विरुद्ध बोलने पर विवश नहीं किया जा सकता। 
 
 उम्मीद है ये जानकारी कभी न कभी हमारे काम आएगी।  
 
योग्य वयस्क व्यक्ति की थाती, कोई उसे न देवे,
तो उसका अधिकार, उसे वह बलपूर्वक ले लेवे... मैथिलीशरण गुप्त 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बदायूं कांड: महिला के शव के पोस्टमार्टम के दौरान नहीं कराई गई वीडियोग्राफी