नई दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) और राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एनएससी) जैसी लघु बचत योजनाओं पर 2021-22 की तीसरी तिमाही के लिए ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया। कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 महामारी और महंगाई दर में वृद्धि के बीच यह फैसला किया गया।पीपीएफ और एनएससी पर सालाना ब्याज दर क्रमश: 7.1 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत बनी रहेगी।
वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, विभिन्न लघु बचत योजनाओं पर ब्याज की दरें 2021-22 की तीसरी तिमाही (एक अक्टूबर, 2021 से 31 दिसंबर 2021) के लिए यथावत रहेंगी यानी दूसरी तिमाही (एक जून, 2021 से 30 सितंबर, 2021) के दौरान जो ब्याज दरें थी, वे बनी रहेंगी।
विश्लेषकों के अनुसार ब्याज दरों को यथावत रखने के निर्णय के पीछे उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव एक प्रमुख कारण हो सकता है। पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश लघु बचत योजनाओं में सबसे अधिक योगदान करने वाला राज्य है।
उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरूआत में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कमी करने का निर्णय किया था। लेकिन ठीक अगले ही दिन एक अप्रैल को वित्त मंत्रालय ने 1.1 प्रतिशत तक की बड़ी कटौती के निर्णय को रद्द कर दिया।
इसके परिणामस्वरूप 2021-22 की पहली तिमाही में ब्याज दर पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही की ब्याज दरों के अनुरूप ही रहीं। लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को तिमाही आधार पर अधिसूचित किया जाता है। एक साल की मियादी जमा पर ब्याज 5.5 प्रतिशत बना रहेगा जबकि बालिकाओं के लिए शुरू की गई बचत योजना सुकन्या समृद्धि योजना खाते पर ब्याज पहले की तरह 7.6 प्रतिशत मिलेगा।
पांच साल की वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याज दर 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखी गई है। वहीं वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत ब्याज तिमाही आधार पर दिया जाता है। बचत जमा पर ब्याज 4 प्रतिशत मिलता रहेगा। एक साल से पांच साल के लिए मियादी जमाओं पर ब्याज दरें 5.5 से 6.7 प्रतिशत होगी। जबकि पांच साल की आवर्ती जमा पर ब्याज 5.8 प्रतिशत दिया जाएगा।(भाषा)