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Sovereign Gold Bond से जुड़े हर सवाल का जवाब, निवेश कितना फायदेमंद

हमें फॉलो करें Sovereign Gold Bond से जुड़े हर सवाल का जवाब, निवेश कितना फायदेमंद

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

Sovereign Gold Bond : पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमतों में गिरावट आई है। इस बीच सोने लोग सोने की खूब खरीददारी कर रहे हैं। सोने को फिजिकल रूप में रखने से उसके चोरी आदि का जोखिम रहता है। लेकिन आप अगर सोने में निवेश करना चाहते हैं तो आप आरबीआई (RBI) द्वारा जारी सांवरेन गोल्‍ड बॉण्‍ड (Sovereign Gold Bond) में निवेश कर सकते हैं। Sovereign Gold Bond ने पिछले दिनों बेहतरीन रिटर्न दिया है। सांवरेन गोल्‍ड बॉण्‍ड (Sovereign Gold Bond) जुड़े हर सवाल का जवाब।
 
 
सांवरेन गोल्‍ड बॉण्‍ड (Sovereign Gold Bond) क्‍या है? इसे कौन जारी करता है?
 
ये बॉण्‍ड सरकारी प्रतिभूतियां हैं जिनका अंकित मूल्‍य स्‍वर्ण ग्राम में होता है। यह बॉण्‍ड भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जारी करता है। यह सोना अपने पास रखने का यह एक वैकल्पिक माध्‍यम है। निवेशकों को निर्गम मूल्‍य नकद रूप में अदा करना होता है। हालांकि अब इसे ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है। बॉण्‍ड की अवधि खत्म होने पर आपके खाते में यह रुपया ट्रांसफर हो जाएगा। स्‍वर्ण के आभूषणों पर कारीगरी शुल्‍क देना पड़ता है और उसकी शुद्धता भी देखनी पड़ती है। राष्ट्रिक स्‍वर्ण बॉण्‍ड के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। यह बॉण्‍ड रिजर्व की बहियों अथवा डीमैट रूप में दर्ज रहते हैं, अत: इनके गुम होने की गुंजाइश नहीं रहती।
 
सांवरेन गोल्‍ड बॉण्‍ड (Sovereign Gold Bond) के क्या फायदे हैं
 
इसे खरीदने पर निवेशक ने स्‍वर्ण की जितनी मात्रा के लिए पैसे दिए हैं उतनी मात्रा संरक्षित हो जाती है और बॉण्‍ड की मीयाद पूरी हो जाने पर या उससे पहले बॉण्‍ड जमा कर देने पर उसे उस समय बाज़ार में चल रही कीमत मिलती है। जोखिम से बचने के साथ-साथ इसे सुरक्षित रखने की लागत नहीं है। निवेशकों को इस बात का आश्‍वासन मिलता है कि बॉण्‍ड की अवधि समाप्ति पर उन्‍हें स्‍वर्ण का बाजार भाव मिलेगा और साथ ही आवधिक ब्‍याज भी। 
 
क्या बॉण्ड खरीदने में कोई जोखिम है?
यदि सोने का बाजार भाव कम हो जाता है तो पूंजीगत हानि होने का जोखिम हो सकता है। लेकिन स्‍वर्ण की जितनी मात्रा के लिए निवेशक ने पैसे दिए हैं उस मात्रा में कोई कमी नहीं आती।
 
कौन कर सकता है इसमें निवेश 
 
विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंध अधिनियम, 1999 में दी गई परिभाषा के अनुसार कोई भी निवासी भारतीय इसमें निवेश कर सकता है। इसमें व्‍यक्ति, हिन्दू अविभक्‍त परिवार, ट्रस्‍ट, विश्‍वविद्यालय, धर्मादाय संस्‍थाएं आदि भी शामिल हैं। आवासीय स्थिति में निवासी से अनिवासी के आगामी परिवर्तन के साथ व्यक्तिगत निवेशक प्रारंभिक मोचन / परिपक्वता तक एसजीबी को रख सकते हैं।
 
क्‍या नाबालिग इसमें निवेश कर सकता है?
हां, किंतु उसकी ओर से उसके अभिभावक को आवेदन पत्र प्रस्‍तुत करना होगा।
 
कैसे मिलेगा आपको बॉण्ड 
आवेदन पत्र जारीकर्ता बैंक/ एसएचसीआईएल कार्यालय/ चुनिंदा डाकघरों/ एजेंटों द्वारा उपलब्‍ध कराए जाएंगे। भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट से भी यह फार्म डाउनलोड किया जा सकता है। बैंक ऑनलाइन आवेदनपत्र भरने की सुविधा भी दे सकते हैं। आप डीमैट अकाउंट खुलवाकर इसकी ऑनलाइन भी खरीदी की जा सकती है।
 
कितना मिलता है ब्याज 
बॉण्‍ड में निवेश की प्रारंभिक राशि पर 2.50 प्रतिशत (नियत दर) प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज देय होगा। ब्‍याज की राशि हर 6  महीने में निवेशक के बैंक खाते में जमा की जाएगी। अंतिम ब्‍याज राशि मीयाद पूरी हो जाने पर मूलराशि के साथ अदा की जाएगी।
 
कैसे तय होती है बॉण्ड की कीमत 
बॉण्ड का मूल्य भारतीय रुपये में होगा और इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) द्वारा प्रकाशित 999 शुद्धता वाले स्वर्ण के अभिदान अवधि से पहले के हफ्ते के अंतिम तीन कार्य दिनों के साधारण औसत बंद मूल्‍य पर आधारित होगा।
 
अवधि पूरी होने पर क्या मिलेगा
बॉण्‍ड की मियाद पूरी हो जाने पर जितने ग्राम के स्‍वर्ण लिए भारतीय रुपए में आपने निवेश किया था उतनी मात्रा के लिए प्रचलित बाजार भाव पर आपको चुकौती राशि प्राप्‍त होगी। बॉण्ड मूल्य भारतीय रुपये में होगा और वह चुकौती से पहले के तीन कार्य दिवसों के इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) द्वारा प्रकाशित 999 शुद्धता वाले स्वर्ण के साधारण औसत बंद मूल्‍य पर आधारित होगा।
 
कैसे मिलेगी बॉण्ड की राशि
ब्‍याज और बॉण्‍ड की चुकौती राशि, दोनों ही ग्राहक के उस बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी जिसकी सूचना उसने बॉण्‍ड खरीदते समय दी थी।
 
समय से पहले बॉण्ड को भुनाया जा सकता है 
यद्यपि बॉण्‍ड की अवधि 8 वर्ष है। 5 वर्ष के पश्‍चात कूपन भुगतान की तारीख से इस बॉण्‍ड का समय पूर्व नकदीकरण/ परिशोधन किया जा सकता है। इसे एक्‍सचेंज में ट्रेड किया जा सकता है। यदि इसे डीमैट स्‍वरूप में रखा गया है तो इसे किसी अन्‍य पात्र निवेशक को भी हस्‍तांतरित किया जा सकता है।
 
अगर बीच में बॉण्ड बंद करना हो तो क्या करें? 
यदि मीयाद समाप्‍त होने से पहले निवेश राशि वापस लेनी हो तो निवेशक को चाहिए कि वह संबंधित बैंक/ एसएचसीआईएल कार्यालय/ डाकघर/ एजेंट से कूपन भुगतान की तारीख से तीस दिन पहले संपर्क करे। मीयाद समाप्‍त होने से पहले निवेश राशि तभी लौटाई जा सकती है जब निवेशक ने कूपन भुगतान की तारीख से कम से कम एक दिन पहले संबंधित बैंक/ डाक घर से संपर्क किया हो। बॉण्‍ड की राशि ग्राहक के उस खाते में जमा कर दी जाएगी जिसकी सूचना उसने बॉण्‍ड खरीदते समय दी थी।
 
बॉण्ड से कैसे मिलेगा पैसा 
बॉण्‍ड की मीयाद समाप्‍त होने से एक महीना पहले निवेशक को बॉण्‍ड की मीयाद पूरी होने की सूचना दे दी जाएगी। मीयाद पूरी होने की तारीख पर बॉण्‍ड की परिपक्‍वता राशि रिकार्ड में दर्ज बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी। यदि बैंक खाते, ई-मेल पते आदि में कोई परिवर्तन है तो निवेशक को चाहिए कि वह उसकी सूचना बैंक/ एसएचसीआईएल/ डाकघर को तुरंत दे।
 
क्या बॉण्ड पर लगेगा टैक्स 
आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) के अनुसार इस बॉण्‍ड के ब्‍याज पर आयकर लागू होगा। एक व्यक्ति द्वारा एसजीबी का रिडेम्प्शन करते समय उसे पूंजीगत लाभ कर से छूट प्राप्त है। किसी व्यक्ति द्वारा बॉण्‍ड का अंतरण करते समय उत्पन्न दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के संदर्भ में इंडक्सेशन लाभ दिया जाएगा।
 
अगर निवेशक की मृत्यु हो जाए तो 
बॉण्ड के नामिती/नामितियों को अपने दावे के साथ संबंधित प्राप्त करने वाले कार्यालय से संपर्क करना होगा। सरकारी प्रतिभूतियां विनियमन 2007 के अध्याय 3 के साथ सरकारी प्रतिभूतियां अधिनियम के प्रावधान के अनुसार नामित/नामितियों के दावों को देखा जाएगा। नामांकन न होने की दशा में, निष्पादक या मृतक होल्डरकर्ता के प्रबंधकों या आगामी प्रमाणपत्र होल्डरकर्ता के दावे (भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के भाग 10 के अंतर्गत जारी) को प्राप्त करने वाले कार्यालय/ निक्षेपागार को प्रस्तुत करना होगा। यह भी नोट किया जाए कि उपर्युक्त प्रावधान मृतक अवयस्क निवेशक पर भी लागू है। इन मामलों में बॉण्ड का हकदार सरकारी प्रतिभूतिया अधिनियम, 2006 में बताए गए मानदंड को पूरा कर रहे व्यक्ति के पास होगा और आवश्यक नहीं है कि यह नैसर्गिक अभिभावक को मिले। आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट से साभार Edited by : Sudhir Sharma 

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