शहरों में एक परिवार नहाने-धोने में जितना पानी रोज खर्च करता है, उसका दो तिहाई हिस्सा दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आईआईटी के इंक्यूबेटर अभिजीत साठे ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसका नाम है जलसेवक। इसकी मदद से उपयोग किए पानी को रीसाइकल कर अन्य चीजों में दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। केवल फ्लशिंग में इस्तेमाल पानी बेकार जाएगा।
पानी की बर्बादी और लगातार हो रही कमी को देखते हुए आईआईटी के स्टार्टअप की टीम ने 6 प्रदेशों में एक सर्वे कराया। करीब 2,500 घरों के डाटा के आधार पर निष्कर्ष निकला कि शहरों के हर घर में 200 लीटर पानी का इस्तेमाल रोज होता है। इसमें 26 फीसदी फ्लशिंग वॉटर होता है और 74 फीसदी ग्रेवॉटर। वैज्ञानिकों ने ग्रेवॉटर का अध्ययन किया तो उसमें काफी कम प्रदूषण मिला जिससे इसका दोबारा उपयोग आसान था।