नई दिल्ली। दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया ने मोबाइल डेटा के लिए शुल्क बढ़ाकर न्यूनतम 35 रुपए प्रति जीबी की दर तय करने की मांग की है। यह मौजूदा दर का करीब सात-आठ गुना है। कंपनी ने इसके साथ ही एक निर्धारित मासिक शुल्क के साथ कॉल सेवाओं के लिए छह पैसे प्रति मिनट की दर तय करने की भी मांग की है। अभी मोबाइल डेटा की दरें 4-5 रुपए प्रति जीबी है।
कंपनी ने कहा है कि उसे समायोजित सकल आय (AGR) बकाया का भुगतान करने में सक्षम बनाने तथा उसके कारोबार को परिचालन योग्य बनाने के लिए एक अप्रैल से ये नई दरें लागू की जानी चाहिए।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कंपनी ने एजीआर बकाये के भुगतान के लिए 18 साल की समयसीमा की मांग की है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि उसे ब्याज व जुर्माने के भुगतान से 3 साल की छूट भी मिलनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, वोडाफोन आइडिया पर करीब 53 हजार करोड़ रुपए का एजीआर बकाया है। कंपनी ने अब तक दूरसंचार विभाग को महज 3,500 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया है।
एक अधिकारी ने कहा कि वोडाफोन आइडिया ने परिचालन में बने रहने के लिए सरकार से कई मांगें की है। कंपनी चाहती है कि एक अप्रैल 2020 से मोबाइल डेटा का शुल्क न्यूनतम 35 रुपए प्रति गीगाबाइट (जीबी) तथा न्यूनतम 50 रुपए का मासिक कनेक्शन शुल्क निर्धारित हो। ये काफी कठिन मांगें हैं और इन्हें मान पाना सरकार के लिए समस्या है।
कंपनी ने ये मांगें ऐसे समय की है जब वह पहले ही पिछले तीन महीने के भीतर मोबाइल सेवाओं की दरें 50 प्रतिशत तक बढ़ा चुकी है।
सूत्र ने कहा, 'कंपनी के अनुसार, मोबाइल कॉल और डेटा की दरें बढ़ाने से उसे राजस्व का वह स्तर पाने में मदद मिलेगी जो 2015-16 में आइडिया और वोडाफोन अलग-अलग कमा पा रही थी। कंपनी ने कहा कि उसे राजस्व का वह स्तर पाने में तीन साल लगेंगे, इसी कारण उसने एजीआर जुर्माने व ब्याज के भुगतान में तीन साल की छूट की मांग की है।'