बदायूं (उप्र)। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र में पिछले वर्ष कथित तौर पर एक चूहे को डुबोकर मारने के मामले में पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ 30 पन्ने का आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया है।
नगर क्षेत्र के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) आलोक मिश्रा ने मंगलवार को बताया कि चूहे वाले मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम), बदायूं की अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने आरोप पत्र में जांच के दौरान की एक-एक कड़ी को जोड़ा है। आरोप पत्र में पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मीडिया में जारी किए गए वीडियो, संबंधित अलग-अलग विभागों के जानकारों के मंतव्य को भी शामिल किया गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोप पत्र को मजबूत बनाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आधार बनाया गया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि चूहे के फेफड़े ख़राब थे, उनमें सूजन थी, लीवर में भी संक्रमण था। साथ ही चूहे की माइक्रोस्कोपिक जांच में भी ये स्पष्ट किया गया था कि चूहे की मृत्यु पानी में डूबने के कारण दम घुटने से ही हुई है।
गौरतलब है कि सदर कोतवाली क्षेत्र में 25 नवंबर, 2022 को एक चूहे को डुबोकर मारने के आरोप में एक युवक के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई थी। बाद में, पुलिस ने आरोपी मनोज कुमार के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 429 (किसी भी जीव जंतु का वध) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर उसको थाने से ही जमानत दे दी थी।
बदायूं के पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा ने पिछले वर्ष 25 नवंबर को जिले के बिजली उपकेंद्र के पास मनोज कुमार नामक व्यक्ति को चूहे की पूंछ में धागे से पत्थर बांधने के बाद उसे नाले में फेंकते देखा था। विक्रेंद्र ने इस घटना के खिलाफ बदायूं कोतवाली में पशु क्रूरता अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर यह मामला दर्ज हुआ।
सदर कोतवाली पुलिस ने मृत चूहे को सील कर फॉरेंसिक जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली भेजा था। बरेली स्थित आईवीआरआई के संयुक्त निदेशक (जेडी) केपी सिंह ने एक दिसंबर, 2022 को कहा था कि चूहे की फॉरेंसिक जांच दो पशु चिकित्सकों की टीम ने की। जांच में चूहे के फेफड़े सूजे हुए पाए गए। हमारे विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे कि चूहे की मौत फेफड़े के संक्रमण और श्वांस लेने में बाधा के कारण हुई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार शर्मा ने मंगलवार को कहा कि पशु क्रूरता अधिनियम के मामले में 10 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक जुर्माना और 3 साल की सजा तथा धारा 429 के अंतर्गत 5 साल की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। इस मामले में आरोपी मनोज के पिता मथुरा प्रसाद ने कहा कि चूहा और कौए को मारना गलत नहीं है। यह नुकसान पहुंचाने वाले जीव हैं।
प्रसाद ने तर्क दिया कि चूहे उनके परिवार द्वारा बनाए गए मिट्टी के कच्चे बर्तनों को कुतरकर मिट्टी के ढेर में तब्दील कर देते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक व मानसिक क्षति पहुंचती है।
उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में मेरे बेटे को सजा होती है तो उन सब पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, जो मुर्गा-बकरा, मछली काटते हैं। चूहे मारने वाली दवा बेचने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। (भाषा)