लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गाय एवं गोवंशीय पशुओं का संरक्षण एवं परिरक्षण सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को स्वीकृति दे दी है और अब उत्तर प्रदेश में 1956 में लागू हुए गोवध निवारण अधिनियम में बदलाव कर सजा को और सख्त करने का फैसला योगी सरकार ने किया है।
7 साल तक के कारावास को आधार बनाकर गोकश जमानत पर रिहा न हो सकें, इसलिए कारावास को बढ़ाकर अधिकतम 10 वर्ष, जबकि जुर्माने को 3 से बढ़ाकर 5 लाख रुपए तक कर दिया गया है।यही नहीं अब यूपी में गोकशी से जुड़े अपराधियों के फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पा किए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार देर शाम सरकारी आवास पर ऑनलाइन बैठक हुई।बैठक में उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान की गई।उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 का उद्देश्य उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण अधिनियम,1955 को और अधिक संगठित एवं प्रभावी बनाना है एवं गोवंशीय पशुओं की रक्षा तथा गोकशी की घटनाओं से संबंधित अपराधों को पूर्णतः रोकना है।
अभी तक अधिनियम में गोकशी की घटनाओं के लिए 7 वर्ष की अधिकतम सजा का प्राविधान था। लेकिन अब योगी कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश में गो वंश की रक्षा करने और गोवध को रोकने के लिए गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश,2020 पर मुहर लगा दी है, जिसके चलते अब से अंग-भंग करने पर 1-7 साल की जेल और 1-3 लाख रुपए तक जुर्माना और गोवध करने वालों को 3-10 साल की जेल और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है साथ ही दोषी से ही अभिग्रहित गोवंश के भरण-पोषण पर होने वाले खर्च की वसूली भी की जाएगी और दोबारा अपराध करने पर दोगुना दंड और सार्वजनिक स्थलों पर फोटो चस्पा की जाएगी।