लखनऊ। भाजपा सरकार पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने आरोप लगाया है कि उत्तरप्रदेश में रासायनिक खाद की जबर्दस्त किल्लत किसान विरोधी केंद्र और राज्य सरकार की देन है। अपनी मांगों के लिए 11 माह से जूझ रहे किसानों को सबक सिखाने के उद्देश्य से खाद का अभाव खड़ा किया गया है। इसी उद्देश्य से धान आदि फसलों को निर्धारित कीमत पर सरकारी तौर पर खरीदा नहीं जा रहा और किसान आधे से भी कम दामों पर इसे बेचने को लाचार हैं।
उन्होंने कहा कि वोटों की नशेड़ी सरकार जब अपनी वोटों की फसल उगाने में मस्त है, तब किसान खाद न मिल पाने और फसल न बो पाने से पस्त हैं। अति बारिश और तूफान से हुईं फसलों की बर्बादी से वह पहले ही हलाकान है। खाद की भारी कमी के चलते जगह-जगह किसान कई-कई दिनों तक लाइनों में लगे हैं और उनमें आपसी झगड़े हो रहे हैं। विक्रय एजेंसियों से झगड़े हुए हैं। यहां तक कि गोलीबारी हुई है और ललितपुर में तो एक किसान ने आत्महत्या तक कर ली। बड़े पैमाने पर खाद की कालाबाजारी जारी है। इसे मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकार किया है और कालाबाजारी रोकने को समिति गठित की है।
उन्होंने कहा कि यह दीगर बात है कि मुख्यमंत्री कालाबाजारियों को ठोंक नहीं पा रहे, जैसे कि वे तमाम मजलूमों को ठोंकवाते रहते हैं। सभी जानते हैं कि भाजपा जमाखोरों और कालाबाजारियों की पुश्तैनी पार्टी है। भाकपा ने चेतावनी दी कि यदि खाद की कालाबाजारी तत्काल रोकी न गई, पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराया नहीं गया और किसानों की सभी उपजें सरकारी केंद्रों पर खरीदने की व्यवस्था न की गई तो भाकपा शीघ्र ही खाद बिक्री केंद्रों और धान क्रय केंद्रों पर प्रदर्शन करेगी।