वाराणसी। वाराणसी का गंगा घाट का कोना-कोना सोमवार को असंख्य दीपों की रोशनी से जगमगाया नजर आ रहा है। दीपों की लंबी कतारें और उनसे निकलने वाली किरणों की जगमग भक्तों को बरबस अपनी तरफ खींच रही है। ऐसा लग रहा है मानो धरती और गंगा तट पर की इस अलौकिक छवि को देखकर आसमान से देवता भी धरा पर उतर आए हैं और देव-दीपावली मना रहे हैं। वहीं दूरदराज से आए सैलानियों ने अदृश्य देवताओं के साथ देव-दीपावली का पर्व मनाया हो।
देव-दीपावली के अद्भुत और अलौकिक सौंदर्य को निहारने के लिए पर्यटकों का वाराणसी के घाटों पर पहुंचने का सिलसिला सोमवार सुबह से ही शुरू हो गया था। बस इंतजार था कि सूर्य की रोशनी मद्धिम हो और वे देव-दीपावली पर्व के साक्षी बने।
जैसे-जैसे सूरज अस्त हुआ, लोगों की भीड़ बढ़ती ही गई। लोगों ने गंगा तट के सहारे बनी सीढ़ियों पर नीचे की तरफ उतरते हुए दीपक प्रकाशित किए। छोटे-छोटे दीपक मानो ऐसे लग रहे हैं, जैसे असंख्य तारे गंगा के घाट पर उतर आए हैं। गंगा घाट की यह अनुपम छवि सैलानियों को अपनी तरफ खींच रही थी। काशी विश्वनाथ धाम में देव-दीपावली दीपोत्सव का प्रारंभ दशाश्वमेध घाट पर कारगिल के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर हुआ।
10 लाख दीपकों से काशी विश्वनाथ धाम जगमगा उठा। तरह-तरह की दीपकों से आकृति बनाई गई, जो देखने लायक थी। वहीं दुर्गाघाट, पंचगंगा घाट, रामघाट आदि घाटों पर मनमोहक आतिशबाजी के साथ ही श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार के सामने रेत पर हुई आतिशबाजी देखकर लोग गद्-गद् हो गए। इस दौरान अस्सी घाट पर भीड़ बेकाबू हो गई।
देव-दीपावली पर कई राज्यों के सैलानियों के आने के चलते पूरे बनारस में भीषण जाम लग गया। गंगा आरती के समय घाट का दृश्य मनोरम हो गया और वहां मौजूद हर व्यक्ति इस अनूठे क्षण को अपनी स्मृति के साथ कैमरे में उतारने को आतुर नजर आ रहा था। गंगा घाट पर परंपरागत तरीके से पूजा-अर्चन वहां मौजूद लोगों के दिलों में सालों जीवित रहेगी।
Edited by: Ravindra Gupta