प्रयागराज। प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू मेडिकल हास्पिटल में तीमारदारों ने एक डॉक्टर की लोहे कि रॉड से पिटाई लगा दी। इसके बाद जूनियर डॉक्टरों का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और उन्होंने पेशेंट के परिजनों की पिटाई लगाते हुए कार्य से विरक्त होकर हड़ताल शुरू कर दी। सूचना पर पुलिस के आलाधिकारी पहुंच गए और अस्पताल के नाराज डॉक्टरों और कर्मचारियों को हाथ जोड़कर समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार सुबह 3 बजे के लगभग प्रतापगढ़ में तैनात एक इंस्पेक्टर की मां की मौत हो गई। मौत पर परिजनों ने जमकर बवाल हो करते हुए एक डॉक्टर की जमकर पिटाई कर दी।
डॉक्टर की पिटाई की सूचना मिलते ही अस्पताल के कर्मचारी और जूनियर डाक्टर इकट्ठा हो गए और उन्होंने पेशेंट के तीमारदारों की पिटाई लगाते हुए अस्पताल में बाद हड़ताल कर दी।
स्वरूप रानी नेहरू मेडिकल कॉलेज में इलाज बंद होते ही हाहाकार मच गया। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक महकमे मौके पर पहुंच गए। अस्पताल के जूनियर डाक्टरों और कर्मचारियों ने अधिकारियों का घेराव किया।
कोविड काल में उपचार बंद होने के चलते अधिकारियों के हाथपांव फूल गए। उन्होंने सभी मेडिकल कालेज के कर्मचारियों को समझाते हुए कहा कि वह तत्काल प्रभाव से इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर रहे हैं और आरोपियों मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई करेंगे। लेकिन गुस्साए जूनियर डॉक्टर मानने को तैयार नहीं है।
प्रतापगढ़ में तैनात इंस्पेक्टर जुल्फिकार की मां 18 अप्रैल को स्वरूप रानी अस्पताल में कोविड ट्रीटमेंट के लिए भर्ती कराया गया था। गुरुवार देर रात उनकी हालत गंभीर हो गई।
आरोप है कि उपचार के दौरान दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने को लेकर इंस्पेक्टर और डॉक्टर की कहासुनी हो गई। इसके चलते पेशेंट के इंस्पेक्टर बेटे और उसके दो भाईयों ने डाक्टर से मारपीट करते हुए सिर फोड़ दिया। घटना से नाराज होकर अस्पताल कर्मचारियों ने भी इंस्पेक्टर समेत उनके भाइयों को जमकर पीट दिया। कर्मचारियों की पिटाई से तीनों तीमारदार अधमरे हो गए। वही इंस्पेक्टर पक्ष ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने बदसलूकी करते हुए उनके व भाईयों के साथ जमकर मारपीट की है।
दोनों पक्षों की मारपीट के बाद जूनियर डॉक्टर हंगामा करने लगे और उन्होंने अस्पताल का कामकाज ठप कर हड़ताल शुरू कर दी। हड़ताल से मरीज हलकान हो गए, अस्पताल में हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही आईजी के पी सिंह समेत पुलिस के आलाधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण करने में जुटे हुए हैं।
कोविड की विषम परिस्थितियों के बीच डाक्टर भगवान का दूसरा रूप है। वह अपने परिवार से दूर रहकर मरीजों को जीवन देने की कोशिश में जुटे हुए है। ऐसे में यदि मरीजों के परिजन अपना आपा खोकर मारपीट पर उतर आयें तो डाक्टरों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।