Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गुरु-शिष्य के रिश्ते की मिसाल है गोरक्षपीठ

गुरु पूर्णिमा पर विशेष

हमें फॉलो करें गुरु-शिष्य के रिश्ते की मिसाल है गोरक्षपीठ
webdunia

गिरीश पांडेय

Gorakshpeeth Gorakhpur: गुरु के साथ शिष्य का रक्त से नहीं आत्मा से संबंध होता है। यही वजह है कि दोनों एक दूसरे की हर भावना को जान लेते हैं। गुरु का हर संदेश शिष्य के लिए आदेश होता है। इस आदेश को मानने वाले शिष्य का जीवन बदल जाता है। इस तरह एक योग्य शिष्य के लिए गुरु उसके माता-पिता की भी भूमिका में होता है। कई पंथों में दीक्षा को शिष्य का पुनर्जन्म माना जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर स्थित जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं, वह गुरु-शिष्य की इस परंपरा की मिसाल है।
 
भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। कहा भी गया है, "गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: (गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं)। गुरु का ध्येय समग्र रूप में लोक कल्याण होता है। अपने शिष्य को वह इसकी दीक्षा देता है। उससे यही अपेक्षा भी करता है। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी पीढ़ी दर पीढ़ी अपने गुरु से प्राप्त लोक कल्याण की इस परंपरा को लगातार विस्तार दे रहे हैं।
 
नाथपंथ के संस्थापक माने जाने वाले गुरु गोरक्षनाथ ने योग को लोक कल्याण का माध्यम बनाया तो उनके अनुगामी नाथपंथी मनीषियों ने लोक कल्याणकारी अभियान को गति दी। लोक कल्याणकारी कार्यों के अनुगमन में गोरक्षपीठ की गत-सद्यः तीन पीढ़ियां तो कीर्तिमान रचती नजर आती हैं।
 
समय से आगे थी महंत महंत दिग्विजयनाथ की सोच : गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ थे। उनकी सोच समय से आगे की थी। उस समय वह जान गए थे कि शिक्षा ही लोक कल्याण का सबसे प्रभावी जरिया है। इसके लिए उन्होंने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। उदात्तमना ब्रह्मलीन महंत ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपने महाराणा प्रताप महाविद्यालय का एक भवन भी दान में दे दिया था।
 
उनके समय में ही लोगों को हानिरहित व सहजता से उपलब्ध चिकित्सा सुविधा हेतु मंदिर परिसर में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की भी स्थापना हुई थी। अपने गुरु द्वारा शुरू किए गये इन प्रकल्पों को अपने समय में उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ महाराज ने शिक्षा, चिकित्सा, योग सहित लोक सेवा के सभी प्रकल्पों को नया आयाम दिया।
 
ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ महाराज के शिष्य एवं वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक कल्याण के लिए अपने दादागुरु द्वारा रोपे और अपने गुरु द्वारा सींचे गए पौधे को वटवृक्ष सरीखा बना दिया है। किराए के एक कमरे से एमपी शिक्षा परिषद के नाम से शुरू शिक्षा का प्रकल्प आज दर्जनों संस्थानों के साथ ही विश्वविद्यालय तक विस्तारित हो चुका है। इलाज के लिए गोरक्षपीठ की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय की ख्याति पूरे पूर्वांचल में है। योग के प्रसार को लगातार गति मिली है। पीठ की गुरु परंपरा में लोक कल्याण के मिले मंत्र की सिद्धि योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री की भूमिका में भी नजर आती है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

1999 में कांग्रेस छोड़कर बनाई थी NCP, कई बार चकमा देकर चौंकाया, अब भतीजे से मिली मात, क्‍या है शरद का सफर