लखनऊ। उत्तरप्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh police) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को दावा किया कि हाथरस कांड (Hathras case) में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ था।
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) आनंद कुमार ने यहां कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल के मुताबिक दलित युवती की मौत गले में चोट लगने और उसके कारण हुए सदमे की वजह से हुई थी। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट से भी यह साफ जाहिर होता है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि वारदात के बाद युवती ने पुलिस को दिए गए बयान में भी अपने साथ बलात्कार होने की बात नहीं कही थी। उन्होंने कहा कि उसने सिर्फ मारपीट किए जाने का आरोप लगाया था। कुमार ने कहा कि सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने और जातीय हिंसा भड़काने के लिए कुछ लोग तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने हाथरस मामले में तुरंत कार्रवाई की और अब हम उन लोगों की पहचान करेंगे जिन्होंने माहौल खराब करने और प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने की कोशिश की। अपर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल गठित किया।
उन्होंने कहा कि इस घटना में जो लोग भी शामिल हैं उन्हें कतई बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट आने से पहले ही सरकार के खिलाफ गलत बयानी की गई और पुलिस की छवि को खराब किया गया। हम पड़ताल करेंगे कि यह सब किसने किया। यह एक गंभीर मामला है और सरकार तथा पुलिस महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर बेहद संजीदा है।
उन्होंने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 और 2019 में उत्तरप्रदेश महिलाओं के प्रति अपराधों में सजा दिलाने के मामले में शीर्ष पर रहा है। गत 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा क्षेत्र में 19 वर्षीय एक दलित लड़की से कथित रूप से बलात्कार किया गया था।
वारदात के दौरान गला दबाए जाने से उसकी जबान भी कट गई थी। लड़की को पहले अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था जहां गत मंगलवार को उसकी मौत हो गई। इस पूरे मामले को लेकर बवाल मचा हुआ है। (भाषा)