उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दलित युवती के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना की लपटों को जितनी दबाने की कोशिश की जा रही है, वे उतनी ही ऊपर उठ रही हैं। ...और उससे उठता धुआं हमारी व्यवस्था के चेहरे पर कालिख ही मल रहा है।
इसी घटनाक्रम से जुड़े कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में दिखाई दे रहा है कि युवती की दूर चिता जल रही है और वहां तक पुलिस किसी को भी नहीं जाने दे रही है। सवाल यह है कि ऐसा क्या था जो पुलिस-प्रशासन छिपाने की कोशिश कर रहा था।
शुरू में तो यह भी कहा गया था कि जिस समय युवती की चिता जल रही थी, उसके परिजनों को भी वहां नहीं जाने दिया। हालांकि बाद एक वीडियो और सामने आया, जिसमें परिजन चिता के पास दिखाई दे रहे हैं और अंतिम संस्कार की रस्म पूरी कर रहे हैं।
पहले वाले वीडियो में आ रही आवाजों में स्पष्ट सुनाई दे रहा है कि किस तरह कुछ मीडियाकर्मी एक पुलिस अधिकारी से बहस कर रहे हैं, जो कि उन्हें लड़की की चिता के पास तक नहीं जाने दे रहा है। बातचीत के दौरान पुलिस अधिकारी ने कहा कि मैं तीसरे दर्जे का पुलिस अधिकारी हूं, मुझे बोलने का अधिकार नहीं है।
पुलिसकर्मी मीडियाकर्मियों से कहता मेरी यही ड्यूटी है कि मैं आप लोगों को आगे बढ़ने से रोकूं। मुझे यहां इसीलिए तैनात किया गया है कि लॉ एंड ऑर्डर न बिगड़े। मैं कोतवाल तो हो सकता हूं, लेकिन मुझे बोलने का अधिकार नहीं, जिसे बोलने का अधिकार है वह बोले।
सवाल तो लोग आधी रात के वक्त चिता जलाने को लेकर भी उठा रहे हैं। लोगों का मानना है कि हिन्दू समुदाय में तो वैसे भी सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार की परंपरा नहीं होती है।