Sambhal mosque case : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल में जामा मस्जिद से जुड़े विवाद को लेकर दायर मुकदमे में आगे की सुनवाई पर बुधवार को रोक लगा दी। संभल स्थित जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह आदेश पारित किया।
यह पुनरीक्षण याचिका उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद दायर की गई है। उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में संभल जिला अदालत के समक्ष वाद की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह वाद 19 नवंबर 2024 को दाखिल किया गया जिसके बाद कुछ ही घंटे के भीतर न्यायाधीश ने एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति कर उसे मस्जिद का प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया। यह सर्वेक्षण उसी दिन कर लिया गया और 24 नवंबर 2024 को दोबारा सर्वेक्षण किया गया। जिला अदालत ने यह निर्देश भी दिया था कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर तक दाखिल की जाए।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने प्रतिवादी को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया और सुनवाई की अगली तारीख 25 फरवरी निर्धारित की।
अधिवक्ता हरिशंकर जैन और सात अन्य लोगों ने संभल के दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत के समक्ष एक वाद दायर किया है जिसमें दलील दी गई है कि जामा मस्जिद का निर्माण एक मंदिर को ध्वस्त कर किया गया है।
जिला कोर्ट में 5 मार्च को सुनवाई : इससे पहले संभल जिले की एक अदालत ने शाही जामा मस्जिद मामले में अगली सुनवाई की तारीख 5 मार्च तय की थी। मुस्लिम पक्ष के वकील शकील अहमद वारसी ने संवाददाताओं को बताया कि उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक देश की अदालतों को धार्मिक स्थलों, विशेषकर मस्जिदों और दरगाहों पर दावा करने संबंधी नए मुकदमों पर विचार करने और लंबित मामलों में कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगाई है।
सर्वेक्षण के दौरान भड़की थी हिंसा : संभल में 24 नवंबर को अदालत के आदेश पर मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी और अनेक अन्य घायल हो गए थे। सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका पर दिया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद स्थल पर कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था।