लखनऊ। उत्तरप्रदेश विधान परिषद के उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) की उम्मीदवार कीर्ति कोल का नामांकन पत्र आयु के आधार पर मंगलवार को खारिज हो गया है। इसके बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2 उम्मीदवारों का सदन में निर्विरोध चुना जाना लगभग तय हो गया है।
निर्वाचन अधिकारी बृजभूषण दुबे ने बताया कि जांच के दौरान सपा उम्मीदवार का नामांकन पत्र वैध नहीं पाया गया और खारिज कर दिया गया, क्योंकि वे ऊपरी सदन में जाने के लिए 30 वर्ष की न्यूनतम आयु की पात्रता पूरी नहीं करती हैं।
उम्मीदवार ने अपने हलफनामे और चुनावी पहचान पत्र में अपनी आयु 28 वर्ष बताई है जो मानक को पूरा नहीं करती। भाजपा उम्मीदवार के तौर पर सोमवार को पर्चा दाखिल करने वाले गोरखपुर की क्षेत्रीय भाजपा इकाई के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सैंथवार और काशी क्षेत्र की उपाध्यक्ष निर्मला पासवान के विधान परिषद जाने का मार्ग इस घटनाक्रम के बाद प्रशस्त हो गया। दुबे ने कहा कि इन 2 उम्मीदवारों के विधान परिषद में चुने जाने की घोषणा चार अगस्त को की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाक़ात की थी और प्रदेशभर में पिछड़ों एवं मुस्लिमों पर कथित फ़र्ज़ी मुकदमे दर्ज किए जाने और उनके उत्पीड़न के संदर्भ में बात की थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में मिर्जापुर की छानबे विधानसभा सीट से सपा की उम्मीदवार रहीं और जनजाति समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली कीर्ति कोल को विधान परिषद के लिए सपा द्वारा टिकट दिया गया था और उन्होंने सपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की उपस्थिति में अपना नामांकन दाखिल किया था।
समाजवादी पार्टी के नेता अहमद हसन के निधन और भाजपा के नेता ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे के कारण खाली हुईं विधान परिषद की 2 सीट के लिए उपचुनाव होना है। जयवीर सिंह ने हाल में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।
सौ सदस्यों वाली विधान परिषद में वर्तमान में भाजपा के 73 सदस्य और सपा के नौ सदस्य हैं, जबकि चार निर्दलीय सदस्य, 2 सदस्य अध्यापक समूह से और 1-1 सदस्य अपना दल (एस), निषाद पार्टी और जनसत्ता दल से है। परिषद में 8 सीटें रिक्त हैं।
403 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा और इसके सहयोगी दलों के 273 सदस्य हैं जिसमें भाजपा के 255, अपना दल (एस) के 12 और निषाद पार्टी के 6 सदस्य शामिल हैं। वहीं सपा के 111 सदस्य हैं और इसके सहयोगी रालोद के 8 सदस्य हैं। इनके अलावा, सुभासपा के 6, जनसत्ता दल और कांग्रेस के 2-2 सदस्य हैं और बहुजन समाज पार्टी का 1 सदस्य है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से जब इस घटनाक्रम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सपा को पता था कि यह नामांकन खारिज हो जाएगा और उसने अनावश्यक रूप से अपना उम्मीदवार इसलिए उतारा ताकि वह आदिवासी समुदाय के प्रति अपनी चिंता दिखा सके। सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि उन्हें कुछ भी टिप्पणी करने से पहले देखना होगा कि वास्तव में क्या हुआ और उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है।(भाषा)