अयोध्या जनपद में 'लावारिश लाशों के मसीहा' कहे जाने वाले समाजसेवी मोहम्मद शरीफ चाचा को राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया। इसकी खबर जैसे पता चली तो उनके परिजनों में खुशी छा गई। इस खुशी का इजहार करने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उनके घर पर पहुंच रहे हैं।
जनपद अयोध्या के खिड़की अलीबेग क्षेत्र में रहने वाले मोहम्मद शरीफ का संयुक्त परिवार है, जिसमे 20 लोग हैं। उनकी पत्नी बिब्बी खातून और इनके पुत्र मोहम्मद अशरफ मकैनिक व मोहम्मद सगीर ड्राइवर का कार्य करते हैं। मोहम्मद शरीफ के छोटे बेटे मोहम्मद रईस का 28 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया था।
इसके बाद उन्होंने लावारिश लाशों को ही अपना पुत्र मानकर अंतिम संस्कार करने लगे। शरीफ अब 25000 से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इसी सेवा और समर्पण के चलते उन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने का भी निर्णय लिया गया।
मोहम्मद शरीफ के पुत्र मोहम्मद सगीर ने कहा कि जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। आज पूरा परिवार बहुत ही खुश है आज हमारे वालिद को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। भारत सरकार का जितना भी धन्यवाद किया जाए कम है। आज सरकार ने हमारे पिता को इस लायक समझा और हमारे पिताजी एकता की एक मिसाल हैं।
30 जनवरी 2020 को पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चयनित होने के लिए उन्हें पत्र मिला, 20 मार्च को दिल्ली जाना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण नहीं मिल सका। वहीं उनकी तबीयत भी खराब हो गई थी। इसके चलते उनका पूरा परिवार परेशान रहा। उन्होंने बताया कि जब से उनकी तबीयत खराब है, वह घर पर ही आराम कर रहे हैं। पैर में तकलीफ होने के कारण चलने में असमर्थ हैं। उनका घर पर ही इलाज चल रहा है।
तबीयत खराब होने के बाद उनका हालचाल लेने के लिए लोग उनके घर भी पहुंचते रहते थे। आज उनके सम्मानित होने के बाद आसपास के क्षेत्र के लोगों में खुशी है। लोग बधाई देने के लिए घर पहुंच रहे हैं।