जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के मुखिया रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की गिनती यूपी के बाहुबली राजनेताओं में होती है। 1993 से वे प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। वर्ष 2022 के चुनाव में उन्हें तगड़ी चुनौती मिल रही है। उन्हें यह चुनौती कोई और नहीं बल्कि कभी उनके करीबी रहे दबंग गुलशन यादव से ही मिल रही है, जिन्हें समाजवादी पार्टी ने कुंडा से टिकट दिया है।
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लगातार जीत : प्रतापगढ़ जिले की भदरी रियासत के पूर्व राजकुमार राजा भैया की चुनावी यात्रा 1993 से शुरू हुई जब वे कुंडा से पहली बार निर्दलीय विधायक के रूप में चुने गए। इसके बाद 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 में वे लगातार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुने जाते रहे।
राजा भैया ने 2017 में बीजेपी के जानकी शरण को 1 लाख 3 हजार 647 वोट के बड़े अंतर से हराया था। इस चुनाव में राजा भैया को 1 लाख 36 हजार 597 और भाजपा प्रत्याशी जानकी शरण को मात्र 32 हजार 950 वोट मिले थे। यह जीत यूपी चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी जीत थी। वे भाजपा और समाजवादी सरकारों में मंत्री भी रहे।
अब बनाई नई पार्टी : 6 बार से निर्दलीय के रूप में जीत रहे राजा भैया ने इस बार जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के नाम से अपनी नई पार्टी बना ली है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेगी। उन्होंने कहा था कि गोरक्षनाथ पीठ के प्रति उनके परिवार की गहरी आस्था है और योगी आदित्यनाथ पीठ के मुखिया है।
कई किंवदंतियां जुड़ी हैं राजा भैया से : हालांकि राजा भैया खुद को बाहुबली नहीं मानते, लेकिन उनके साथ कई किंवदतियां जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि वे तालाब में मगरमच्छ रखते हैं और अपने विरोधियों को वहां फेंक देते हैं। हालांकि वे इसका कई बार खंडन कर चुके हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे समानांतर अदालत भी चलाते हैं, जहां स्थानीय लोगों के आपसी मसलों को निपटाया जाता है। इतना ही नहीं स्थानीय निकायों के चुनावों में उम्मीदवार भी उनकी मर्जी से ही चुने जाते हैं।
तब छोड़ना पड़ा था मंत्री पद : 15 मार्च, 2012 को राजा भैया पुनः उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट में कारागार एवं खाद्य एवं रसद मंत्री बने, लेकिन 2 मार्च 2013 को कुंडा में तिहरे हत्याकांड मामले में डीएसपी जिया उल हक की हत्या के मामले में राजा भैया का नाम आने के बाद इन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हालांकि बाद में सीबीआई जांच में इन्हें क्लीन चिट मिल गई और 11 अक्टूबर को उन्हें पुनः कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया।
मायावती ने भेजा था जेल : यूपी की सत्ता तीसरी बार संभालने के बाद मायावती ने 2002 में राजा भैया को उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई भाई अक्षय प्रताप सिंह समेत कई आरोपों में जेल भेज दिया। उस समय उन पर पोटा भी लगवाया गया। हालांकि 2003 में मुलायम सिंह की सरकार बनने पर उन पर लगे सभी आरोपों को खारिज करवारकर जेल से रिहा करवाया गया। उस दौरान वे करीब 10 महीने यूपी के 7 जिलों की जेलों में बंद रहे। जिस समय राजा भैया जेल में थे, उनकी पत्नी गर्भवती थीं और उन्होंने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था।
गुलशन यादव दे रहे हैं चुनौती : राजा भैया को इस बार चुनाव में कोई और नहीं बल्कि कभी उनके करीबी रहे गुलशन यादव ही चुनौती दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी के काफी करीबी रहे राजा भैया के खिलाफ अखिलेश यादव ने ही गुलशन को उतारा है। गुलशन की गिनती भी कुंडा का बाहुबलियों में होती है।
बताया जाता है कि हाल ही एक चुनावी सभा में गुलशन ने राजा भैया के खिलाफ अभद्र टिप्पणिया भी की थीं। जिसके चलते यादव पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है। एक जानकारी के मुताबिक गुलशन मानिकपुर थाने के हिस्ट्रीशीटर रहे हैं। गुलशन पर प्रतापगढ़ में हत्या, लूट, चोरी, बलवा के 21 मुकदमे भी दर्ज है। डीएसपी जिया उल हत्याकांड में भी गुलशन यादव को आरोपी बनाया गया था।
भाजपा ने सिंधुजा को उतारा : दूसरी ओर भाजपा ने कुंडा सीट से सिंधुजा मिश्रा को टिकट दिया है। लंबे समय से बसपा में रहने के बाद भाजपा में शामिल हुए नेता शिवप्रकाश मिश्र सेनानी की पत्नी हैं सिंधुजा। सिंधुजा ने 2009 में पहली बार बसपा के समर्थन से कोऑपरेटिव बैंक का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्होंने राजा भैया के करीबी को शिकस्त दी थी। हालांकि सिंधुजा के पति शिवप्रकाश मिश्र 2 बार राजा भैया से चुनाव हार चुके हैं।