बुलंदशहर में 15 वर्षीय किशोरी के साथ 3 महीने पहले जिले के जहांगीराबाद थाना क्षेत्र दरिंदगी हुई थी। परिवार का आरोप है कि किशोरी गुमसुम रहने लगी और उसे मंगलवार की सुबह आरोपियों ने आग के हवाले कर दिया। गंभीर हालत में पीड़िता को दिल्ली आरएमएल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। उत्तरप्रदेश सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पीड़ित परिवार को मुआवजे की घोषणा की, साथ ही लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के प्रति नाराजगी जाहिर की है।
मृतका के पिता और भाई का आरोप है कि घर में घुसकर आरोपियों ने पीड़िता को आग लगाई थी। कोई उनकी घिनौनी करतूत के खिलाफ किशोरी का परिवार थाने गया और शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की भूमिका भी अशोभनीय रही क्योंकि वह इस प्रकरण को कथित आत्मदाह बता रही थी, वहीं आरोपी पक्ष पीड़ित पक्ष पर लगातार शिकायत वापस लेने और समझौते का दबाव बना रहा था।
बुलंदशहर एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की है। इसमें 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अन्य आरोपियों की तलाश में लगातार दबिश दी जा रही है।
बीती 15 अगस्त को दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने जहांगीराबाद थाने में तहरीर देते हुए बेटी से रेप की एफआईआर दर्ज कराई थी। शिकायत के मुताबिक एक बगीचे की रखवाली के लिए गांव में आए एक युवक ने उनकी बेटी से दुष्कर्म किया था। पुलिस के मुताबिक आरोपी को उसी दिन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। इसके बाद से आरोपी का चाचा और उसका एक दोस्त पीड़िता पर समझौता करने का दबाव बना रहे थे।
इसी बीच मंगलवार को दुष्कर्म का शिकार हुई नाबालिग संदिग्ध परिस्थितियों में जल गई। पीड़िता के बड़े भाई के मुताबिक 2 युवकों ने घर में घुसकर उनकी बहन को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद परिजन उसे उपचार के लिए बुलंदशहर के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत देखते हुए दिल्ली रेफर कर दिया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
मृतका के पिता ने पुलिस को लिखित शिकायत देते हुए आरोप लगाया है कि उसकी बेटी को आरोपियों ने ही आग लगाई गई थी। पुलिस ने मामले में 7 आरोपियों को नामजद किया है और वहीं घटनास्थल का मुआयना करते हुए सबूत भी एकत्रित किए हैं।
मृतका की मौत के बाद पुलिस नींद से जागी और आनन-फानन में नामजद 5 आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। 2 नामजद आरोपी अभी भी फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।
पीड़िता के परिवार का कहना है कि एक आरोपी की गिरफ्तारी के बाद से ही आरोपी पक्ष लगातार पीड़िता और परिवार पर समझौते के लिए दबाव बना रहा था। समझौता न करने पर धमकियां दी जा रही थी, जिसकी शिकायत पुलिस से की, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई न करके सिर्फ खोखले आश्वासन दिये, जिसके परिणाम पीड़िता की मौत के रूप में सामने आया। पीड़िता के परिजनों का कहना है कि वे गरीब परिवार से हैं, जबकि आरोपी दबंग हैं। अगर पुलिस ने समय रहते हुए सख्त कदम उठाए होते तो बच्ची की जान बच जाती।
इस पूरे प्रकरण में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है। बुलंदशहर एसएसपी ने इस मामले में लापरवाही बरतने पर सब इंस्पेक्टर विनयकांत गौतम और कांस्टेबल विक्रांत तोमर को निलंबित किया था। अब जहांगीराबाद पुलिस स्टेशन के प्रभारी विवेक शर्मा और अनूपशहर के पुलिस अधिकारी अतुल कुमार चौबे और इंस्पेक्टर सुभाष सिंह को लाइनहाजिर कर दिया गया है।
पीड़िता की मौत की खबर गांव में पहुंचते ही कोहराम मच गया। पुलिस प्रशासन के आलाधिकारी मृतका के घर पहुंचे और उन्हें सरकार की तरफ से 3.75 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की गई। गांव में पीएसी तैनात कर दी गई है। देर शाम मृतका का शव एंबुलेंस से गांव में लाया गया है। कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार किया गया है।