मेरठ। प्रकृति के साथ-साथ प्रत्येक प्राणी में नव ऊर्जा का संचार करने वाली वसंत ऋतु सभी को उत्साहित करती है। वसंत पंचमी (मंगलवार, 16 फरवरी) पर्व पर प्रकृति की मनोहारी छटा देखकर दिल में उमंग और उल्लास पैदा होता है। ऐसा लगता है कि धरती मां ने अनोखा श्रृंगार कर लिया हो। वसंत ऋतु में प्रकृति कई तरह के बदलाव लेती है। मनोहारी वासंतिक बयार बहने लगती है। पेड़ों पर नई कोंपलें, फूलों का खिलना, खेतों में सरसों के पीले फूल और लहलाती-इठलाती गेहूं की बालियां मौसम को सुहावना बना देती है।
वासंतिक खुशनुमा मौसम में मिठास घोलने के लिए उत्तरप्रदेश के कुछ शहरों में पतंगबाजी का चलन है। पतंगबाजी के शौकीन तरह-तरह की रंग-बिरंगी पतंगों को आसमान में उड़ाते हुए आसपास के लोगों से पेंच लड़ाते हैं। पतंगबाजी के कॉम्पिटिशन होते हैं। अपने प्रतिद्वंद्वी की पतंग काटने के बाद चारों तरफ से एक ही आवाज सुनाई देती है- आई बो, वो काटा, वो काटा।
वसंतोत्सव पर पतंगबाजी के चलते बाजारों में रौनक छाई हुई है। तरह-तरह की रंग-बिरंगी पतंगें बाजार में छाई हुई हैं। पतंगों के बाजार में जहां स्टाइलिश पतंगें हैं, तो वहीं देशप्रेम का जज्बा पैदा करने वाली पतंगों की भरमार है। देश के आन-बान तिरंगा पतंगें, कार्टून पतंग, चील पतंग, स्टार पतंगें बाजार में सजी हैं। मंगलवार, 16 फरवरी को वसंत पंचमी पर्व है। खास बात यह है कि विपरीत परिस्थितियों में भी मोदी पतंगों का जलवा बरकरार है। बाजार में डिजाइनर पतंगों के बीच नरेन्द्र मोदी की फोटो वाली पतंगें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
मोदी के फोटो के नीचे 'भारतमाता की जय' का नारा लिखा हुआ है। दुकानदारों का कहना है कि बच्चे और युवाओं में मोदी पतंग को लेकर अत्यधिक क्रेज दिखाई दे रहा है। मोदी पतंग की मांग बहुत अधिक है। सारा माल बिक चुका है। पतंगबाजी के शौकीन हर धर्म के लोग कटी पतंग को पाने की होड़ में आकाश की तरफ टकटकी लगाकर पतंग की डोर का किनारा खोजते नजर आते हैं। वसंतोत्सव के बहाने एक बार फिर से डोर में बंधकर मोदी हर धर्म के लोगों के घरों में पहुंच रहे हैं। देखना होगा कि आसमान में उड़ती इस पतंग की डोर को कौन काट पाता है?