लखनऊ। भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण उत्तर प्रदेश के 18 जिलों के 1,111 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और हजारों हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है। 116 गांवों का संपर्क बाकी क्षेत्रों से पूरी तरह टूट गया है। बाढ़ से कुल 2,45,585 लोग प्रभावित हुए हैं।
राहत आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जिलों में 344 शरणालय बनाए गए हैं, जहां लगभग 13,496 लोगों को रखा गया है। राहत और बचाव कार्यों के लिए NDRF और SDRF की कुल 26 टीम तैनात की गई हैं। प्रभावित इलाकों में खाद्य सामग्री के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं।
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर तथा बलिया जिलों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसके अलावा यमुना नदी जालौन, बांदा तथा प्रयागराज में, शारदा नदी लखीमपुर खीरी में और घाघरा नदी बाराबंकी में लाल निशान से ऊपर बह रही है।
वाराणसी में कुल 115 गांवों के 28,499 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। जिले में सैलाब से 608.572 हेक्टेयर फसल भी प्रभावित हुई है। बलिया जिले में गंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण 27 गांवों की आबादी प्रभावित हुई है।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है जिससे तटवर्ती इलाकों के हजारों लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर बाढ़ की वजह से शवदाह में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट में शवदाह के निचले प्लेटफार्म बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं लिहाजा छत पर शव जलाए जा रहे हैं। वहीं, हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह किया जा रहा है। शवों को जलाने के लिए लोगों को चार से पांच घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है।
मिर्जापुर में गंगा नदी का जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा है। जिले में 103 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें से 13 गांवों में आबादी और फसल दोनों ही प्रभावित हुई हैं।
हमीरपुर से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, बांधों से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण नदी के किनारे बसे गांवों की स्थिति अब भी सामान्य नहीं हो पाई है। हमीरपुर, मौदहा और सरीला क्षेत्रों में 2300 हेक्टेयर से ज्यादा फसल पानी में डूब गई है। कई गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है।