देहरादून। 'सौ सुनार की एक लोहार की वाली कहावत' आज उत्तराखंड कांग्रेस ने सच कर दिखाई वह भी राज्य के एक कद्दावर कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य को पार्टी में शामिल करवाकर। यशपाल आर्य अकेले नहीं आए उनकी नैनीताल सीट से विधायक पुत्र भी उनके साथ आज कांग्रेस में शामिल हो गए।
इससे पहले बीजेपी 2 निर्दलीय और एक कांग्रेस के पुरौला से विधायक राजकुमार को अपने पाले में लाकर राज्य में माहौल बीजेपी के पक्ष में बताने की कोशिश कर चुकी थी। इस बात के कयास बीते कई दिनों से लगाए जा रहे थे।
धामी ने की थी मनाने की कोशिश : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने भी यशपाल आर्य के घर पहुंचकर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की थी। तब यह कहा गया था की यशपाल नाराज नहीं हैं।
अब जबकि यशपाल आर्य ने मंत्री पद त्याग कर कांग्रेस में घर वापसी कर ली है तो इसे बीजेपी के लिए एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।
कांग्रेस को दलित चेहरे की तलाश : यशपाल आर्य 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में इसलिए शामिल हुए क्योंकि उनके पुत्र संजीव आर्य को पार्टी टिकट देने को तैयार नहीं हुई, लेकिन अब वे कांग्रेस में शामिल इसलिए हुए क्योंकि उनको बीजेपी रास आ ही नहीं रही थी।
कांग्रेस के प्रदेश में सर्वोच्च नेता हरीश रावत ने पंजाब में दलित चेहरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तराखंड में भी अपने जीवनकाल के दौरान द्लित को मुख्यमंत्री बनाने का सपना देखने की बात कही थी। यह माना जा रहा था कि यह बयान राज्य में दलितों को कांग्रेस की तरफ आकर्षित करने के लिए दिया गया था, तब से ही इस बात की आशंका थी कि राज्य के कुछ बड़े दलित चेहरे कांग्रेस की तरफ आ सकते हैं, जो आज सच साबित हुई।
कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की उपस्थिति में प्रेस वार्ता में यशपाल और संजीव आर्य ने वापसी की। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रीतमसिंह, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व सीएम हरीश रावत भी मौजूद रहे। यशपाल आर्य बाजपुर और उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल सीट से विधायक हैं। यशपाल आर्य पुष्कर सिंह धामी सरकार में मंत्री थे और उनके पास 6 विभाग थे। इसमें परिवहन, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, छात्र कल्याण, निर्वाचन और आबकारी विभाग शामिल थे।
यशपाल आर्य 6 बार विधायक रह चुके हैं। नारायणदत्त तिवारी सरकार में वे उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं। यशपाल आर्य पहली बार 1989 में खटीमा सितारगंज सीट से विधायक बने थे। वे पहले भी काफी समय तक कांग्रेस पार्टी में भी रहे हैं।
दिग्गज नेता खुले मंच से कई बार इस बात को कह चुके हैं कि भाजपा सहित तमाम दूसरी पार्टियों के असंतुष्ट नेता उसके संपर्क में हैं। यहां तक कि कुछ बागियों को लेकर भी दावे किए जा रहे हैं, लेकिन पार्टी ऐसे नामों का खुलासा करने से बच भी रही है, वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा की सरकार पुराने कांग्रेसियों के दम पर ही चल रही है। धामी कैबिनेट में कांग्रेस से आयात किए गए नेता बहुतायत में हैं।