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वेलेंटाइन डे पर नवीन रांगियाल की प्रेम कविता : बादल हमारे लिए टहलते हैं

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WD

, मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025 (17:13 IST)
तुम्‍हारा हाथ पकड़कर चलते हुए  
मैंने यह जाना कि आकाश में बादल बरसातों के लिए नहीं 
मेरे और तुम्‍हारे लिए टहलते हैं
 
कोई दिन उग कर वापस आता है 
तो उसका मतलब मैं यह निकालता हूं कि वो हमारे लिए लौटा है 
 
रात दोनों को बांधने आती है
 
इतनी बड़ी दुनिया में 
मैं सिर्फ बादलों के आने-जाने
दिन के उगने और डूबने के बारे में सोचता हूं  
धूप और बारि‍श के बारे में सोचता हूं
 
यही वो सब है जो हमारे लिए होता है
 
दुनिया सिर्फ इसलिए है 
कि हर शाम को मैं तुमसे मिलने आता हूं 
 
अगर मैं तुमसे मिलने आता और तुम मुझे वहां नहीं मिलती 
जहां हमारा मिलना तय था
 
तो भीड़ और आतंक से भरी यह दुनिया कब से खत्‍म हो चुकी होती
 
मिलते रहने से ही दुनिया चलती है
 
जब घांस को धूप से मिलते देखता हूं 
और पत्‍तों को हवाओं से
 
जब छांव मिलने आती है गलियों से
 
और आकाश को पृथ्वी पर झुकते हुए देखता हूं 
 
तो सोचता हूं यह दुनिया तब तक रहेगी जब तक हम किसी से मिलने जाते रहेंगे। 

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