Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कई धर्मों में है वाग्देवी सरस्वती के विभिन्न रूपों का वर्णन

हमें फॉलो करें कई धर्मों में है वाग्देवी सरस्वती के विभिन्न रूपों का वर्णन
- ओमप्रकाश कादयान

सरस्वती का उल्लेख वैदिक साहित्य में एक नदी और एक देवी दोनों रूपों में आता है। बौद्ध व जैन धर्म में भी वाग्देवी की पूजा-अर्चना का उल्लेख तथा मां शारदा की प्रतिमा अंकन की परंपरा रही है। बंगाल में विशेष रूप से सरस्वती को पूज्य माना जाता है। 
 
* 'ॐ ऐं हीं श्रीं क्लीं सरस्वतत्यै बुधजनन्यैंस्वाहा'
 
* 'ॐ श्रीं हीं हंसौ सरस्वत्यै नमः'
 
भगवती सरस्वती के ये मंत्र कल्पवृक्ष कहे गए हैं। इनके द्वारा विधि-विधान से सरस्वती साधना करके अनेक महापुरुष परम प्रज्ञावान हो चुके हैं। 
 
* सरस्वती साधक को शुद्ध चरित्रवान होना चाहिए। 
 
* मांस-मद्य जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन त्यागना चाहिए। 
 
सनातन परंपरा में आज भी अधोलिखित श्लोक का जाप बुद्धि-चैतन्य हेतु बड़ा सहायक माना जाता है।
 
सरस्वती महाभागे वरदे कामरूपिणि।
विश्वरूपी विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते॥
 
माघ शुक्ल पंचमी-वसंत पंचमी सरस्वती पूजन की भी प्रधान तिथि है। यह तिथि सनातन परंपरा में विद्यारंभ की मुख्य तिथि के रूप में प्रतिष्ठित रही है।
 
 
एक किंवदंती के अनुसार प्राचीनकाल में गुरु के शाप से याज्ञवल्क्य मुनि की विद्या नष्ट हो गई थी। उन्होंने सरस्वती की पूजा की। तभी सरस्वती की कृपा से उनकी स्मरण शक्ति वापस लौट सकी थी। वसंत पंचमी वाले दिन ही मुनि ने अपनी विद्या पुनः प्राप्त की थी। हमारे पौराणिक ग्रंथों में वाग्देवी सरस्वती के शास्त्रोक्त रूप-स्वरूपों का विशद वर्णन मिलता है। ऋग्वेद में विद्या की देवी को एक पवित्र सरिता के रूप में व्याख्यायित किया गया है।
पौराणिक उल्लेख मिलता है कि देवी महालक्ष्मी से जो उनका सत्व प्रधान रूप उत्पन्न हुआ, देवी का वही रूप सरस्वती कहलाया। वेदगर्भा देवी सरस्वती चंद्रमा के समान श्वेत तथा अयुधों में अक्षमाला, अंकुश, वीणा सहित पुस्तक धारण किए दर्शाई जाती हैं। बुंदेलखंड के कवि मधु ने मां शारदा का वर्णन इस प्रकार किया है-

 
'टेर यो मधु ने जब जननी कहि/ है अनुरक्त सुभक्त अधीना।
पाँच पयादे प्रमोद पगी चली/ हे सहु को निज संग न लीना
धाय के आय गई अति आतुर/ चार भुजायों सजाय प्रवीना।
एक में पंकज एक में पुस्तक/ एक में लेखनी एक में बीना।' 
 
'महाभारत' में देवी सरस्वती को श्वेत वर्ण वाली, श्वेत कमल पर आसीन तथा वीणा, अक्षमाला व पुस्तक धारक स्वरूप को रचने का निर्देश दिया गया है। इस नियम-निर्देशों के अनुसार ही कलाकारों ने वाग्देवी को विविध शास्त्रसम्मत रूपों को पाषाण व चित्रों में अंकित किया।
इसी भांति 'मानसार' में देवी सरस्वती को पद्मासन पर आसीन, शुद्ध स्फटिक के समान रंग वाली, मुक्ताभरण से भूषित, चार भुजा, द्विनेत्र, रत्नयुक्ता व पद्महार से सुशोभित, नुपूर पहने हुए तथा करंड मुकुट से शोभित माना गया है। सरस्वती रहस्योपनिषद् के ऋषि ने भगवती सरस्वती के स्वरूप का निरूपण इस प्रकार किया है-
 
'या कुन्देन्दु तुषार-हार-धवला या शुभ्र-वस्त्रान्विता
या वीणा-वर-दंड-मंडित-करा या श्वेत-पद्मासन।
या ब्रह्मच्युत शंकर प्रभृतिभिः देवैः सदा वंदिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्या पहा।'
 
जिनकी कांति हिम, मुक्ताहार, कपूर तथा चंद्रमा की आभा के समान धवल है, जो परम सुंदरी हैं और चिन्मय शुभ-वस्त्र धारण किए हुए हैं, जिनके एक हाथ में वीणा है और दूसरे में पुस्तक। जो सर्वोत्तम रत्नों से जड़ित दिव्य आभूषण पहने श्वेत पद्मासन पर अवस्थित हैं। जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव प्रभृति प्रधान देवताओं और सुरगणों से सुपूजित हैं, सब श्रेष्ठ मुनि जिनके चरणों में मस्तक झुकाते हैं। ऐसी भगवती सरस्वती का मैं भक्तिपूर्वक चिंतन एवं ध्यान करता हूं। उन्हें प्रणाम करता हूं। वे सर्वदा मेरी रक्षा करें और मेरी बुद्धि की जड़ता इत्यादि दोषों को सर्वथा दूर करें।
 

 
अन्य स्वरूपों में माता सरस्वती :- 
 
* चित्रकारों ने अपनी कूंची से सरस्वती के विभिन्न रूपों को समय-समय पर चित्रित किया है। 
 
* पाषाण शिल्पियों ने पत्थर पर उकेरा है तो काष्ठ शिल्पियों ने खिड़कियों, दरवाजों या लकड़ी के खंभों पर उकेरा है सरस्वती के रूपों को। 
 
* कलाकारों ने लोहा, फाइबर, चाक मिट्टी, संगमरमर तक के माध्यमों से विद्या, कला व संगीत की देवी को विभिन्न रूपों में ढाला है।
 
* साहित्यिक समारोह पर समारोह शुरू करने से पूर्व देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना होती है, वहीं कवियों ने अपनी रचनाओं में मां सरस्वती को विशेष महत्व दिया है। 
 
इस प्रकार ब्रह्मा परमात्मा से संबंध रखने वाली वाणी, बुद्धि और विद्या इत्यादि की जो परमशक्ति व्यवस्था करती है, उन्हें ही सरस्वती कहते हैं। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

साल 2020 में किस राशि के लिए कौन सा दिन है भाग्यशाली