मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी कृपा से ही कवि कालिदास ने यश और ख्याति अर्जित की थी। वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, शौनक और व्यास जैसे महान ऋषि देवी-साधना से ही कृतार्थ हुए थे। चूंकि मां सरस्वती की उत्पत्ति सत्वगुण से मानी जाती है इसलिए इन्हें श्वेत वर्ण की सामग्रियां विशेष प्रिय हैं, जैसे श्वेत पुष्प, श्वेत चंदन, दूध, दही, मक्खन, श्वेत वस्त्र और श्वेत तिल के लड़्डू। प्राचीनकाल में बालकों को इस दिन से ही शिक्षा देना प्रारंभ किया जाता था और आज भी यह परंपरा जीवित है।
उपाय
1. कठिन पाठ्यपुस्तकों में बसंत पंचमी के दिन मोर पंख रखने चाहिए।
2. वाक् सिद्धि के लिए अपनी जिह्वा को तालु में लगाकर सरस्वती के बीज मंत्र 'ऐं' का जाप करना लाभदायक है।
3. जिनकी वाणी में हकलाना, तुतलाना जैसे दोष हों, वे इस दिन बांसुरी के छेद से शहद भरकर तथा मोम से बंद कर जमीन में गाड़ें। ऐसा करने से लाभ होगा।
4. बच्चों की कुशाग्र बुद्धि के लिए उन्हें इस दिन से ब्राह्मी, मेघावटी, शंखपुष्पी देना आरंभ करें।
5. सरस्वती की कृपा पाने के लिए प्रात:काल उठते ही हथेलियों के मध्य भाग के दर्शन करें।
6. घर में नन्हे शिशु हों तो थाली में चावल भरकर उसकी अनामिका से ॐ या श्री लिखवाएं।