वसंत/ बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। प्राचीनकाल से ही इस दिन माता सरस्वती की पूजा का प्रचलन रहा है। आओ जानते हैं कि वसंत पंचमी को मनाने के क्या-क्या है और क्या कर सकते हैं इस दिन।
1. देवी सरस्वती का जन्मदिन : मूलत: यह पर्व ज्ञान की देवी सरस्वती के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कवि, कथाकार, चित्रकार, गायक, संगीतकार और विचारकों के लिए इस दिन का महत्व है। सरस्वती देवी का ध्यान और पूजन ज्ञान और कला की शक्ति को बढ़ाता है।
2. रास उत्सव : इस अवसर पर ब्रजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के रास उत्सव को मुख्य रूप से मनाया जाता है। कहते हैं कि वसंत में ही उन्होंने महाराज किया था। श्रीकृष्ण ने कहा था ऋतुतों में मैं वसंत हूं। वसंत ऋतु मुझे सबसे प्रिय है।
3. कामदेव का दिवस : वसंत पंचमी को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। कामदेव का ही दूसरा नाम है मदन। औषध ग्रंथ चरक संहिता में उल्लेखित है कि इस दिन कामिनी और कानन में अपने आप यौवन फूट पड़ता है। ऐसे में कहना होगा कि यह प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए इजहारे इश्क दिवस भी होता है।
4. प्रकृति का परिवर्तन : इस दिन से प्रकृति का कण-कण वसंत ऋतु के आगमन में आनंद और उल्लास से गा उठता है। मौसम भी अंगड़ाई लेता हुआ अपनी चाल बदलकर मद-मस्त हो जाता है। प्रेमी-प्रेमिकाओं के दिल भी धड़कने लगते हैं। इस दिन से जो-जो पुराना है सब झड़ जाता है। प्रकृति फिर से नया श्रृंगार करती है। टेसू के दिलों में फिर से अंगारे दहक उठते हैं। सरसों के फूल फिर से झूमकर किसान का गीत गाने लगते हैं। कोयल की कुहू-कुहू की आवाज भंवरों के प्राणों को उद्वेलित करने लगती है। गूंज उठता मादकता से युक्त वातावरण विशेष स्फूर्ति से और प्रकृति लेती हैं फिर से अंगड़ाइयां।
क्या कर सकते हैं इस दिन
1. विद्यारंभ का दिन : इस दिन को शिक्षा दीक्षा आरंभ करने के दिन भी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन को बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के आरंभ के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाना चाहिए। माना जाता है कि इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है।
2. अन्नप्राशन का दिन : 6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है। अन्नप्राशन के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है।
3. परिणय प्रसंग : बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है।
4. गृह प्रवेश : गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है।
5. स्नान दान : इस त्योहार पर पवित्र नदियों में लोग स्नान आदि करके पुण्य अर्जित करते हैं।