तलघर का होना अच्छा और बुरा इस बात पर निर्भर करता है कि वह किसी दिशा और जगह पर है। दूसरी बात यह कि वह किस प्रकार और किस कार्य के लिए है। तीसरी बात कि उसके आसपास क्या-क्या है। दक्षिण, नैऋत्य और आग्नेय दिशा के मकान में तलघर है तो यह अच्छा नहीं माना जाता। हालांकि की तलघर रखने के कुछ नियम होते हैं उनका पालन करना भी जरूरी है।
लाल किताब के अनुसार जिन घरों में तलघर होता है उसे शनि का घर कहा गया है। यदि वहां घर के आसपास कीकर, आम या खजूर का वृक्ष है तो यह और पक्का हो जाएगा कि यह शनि का घर है। तलघर वाले घर के पीछे की दीवार कच्ची हो सकती है। यदि वह दीवार गिर जाए तो शनि के खराब होने की निशानी मानी जाती है।
यदि तलघर है तो इस तलघर को वास्तु अनुसार बनाएं या वह जैसा है उसे वैसा ही पड़ा रहने दें। उसमें उजाले के लिए कभी कोई उजालदान न बनाएं। अर्थात करने का मतलब यह है कि किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर कोई कार्य करें। कहते हैं कि तलघर को छेड़ने से मुसिबत आन पड़ती है।
सामान्यत: भवन में सीलर्स और बेसमेंट में कमरे बनाने से बचना चाहिए, जो रोड लेवल से नीचे हों। तलघर बनाना जरूरी हो तो वास्तु के अनुसार तलघर या बेसमेंट बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बेसमेंट को कुछ हद तक रोड लेवल के ऊपर रखें। पूरे प्लॉट को कवर करने वाला बेसमेंट उचित होता है। अगर बेसमेंट के किसी एक हिस्से में ही तलघर बनाना हो तो उसे केवल उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्वी दिशा में ही बनाएं। तलघर का प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्वी दिशा में होना चाहिए।
तलघर की दक्षिण-पश्चिमी दिशा का उपयोग भारी सामान के स्टोरेज के रूप में किया जाना चाहिए। उत्तर- पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी भाग नौकरों के रहने या कार पार्किंग के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।