प्राचीन भारत में नगर, ग्राम या मकान बनाने के कुछ वास्तु नियम होते थे। इनके कारण जीवन में धन, समृद्धि और खुशियां बनी रहती थी। हालांकि वर्तमान में इन नियमों को नहीं माना जाता है। बढ़ती आबादी के दबाव या कहें कि पश्चिम के अनुसरण के चलते लोगों ने फ्लैट में रहना शुरू कर दिया है। आप निम्नलिखित नियम मानें या न मानें लेकिन जानें जरूर।
1. मंदिर के पास हो मकान : आपका मकान मंदिर के पास है तो अति उत्तम। थोड़ा दूर है तो मध्यम और जहां से मंदिर नहीं दिखाई देता वह निम्नतम है। मकान मंदिर से कम से कम इतनी दूर हो चाहिए कि उसकी छाया आपके मकान पर ना पड़े।
2. प्राकृतिक सुंदरता के बीच हो मकान : मकान उस शहर में हो जहां 1 नदी, 5 तालाब, 21 बावड़ी और 2 पहाड़ हो। हालांकि वर्तमान में बावड़ी, तालाब आदि तो रहे नहीं। ऐसे में जिस शहर में नदी हो वहां रहना चाहिए या फिर ऐसी जगह रहना चाहिए जहां प्राकृतिक सुंदरता हो।
3. किस दिशा में हो मकान : मकान पहाड़ के उत्तर की ओर बनाएं। मकान शहर के पूर्व, पश्चिम या उत्तर दिशा में बनाएं। मकान का द्वार पूर्व, पश्चिम या उत्तर दिशा का ही होना चाहिए।
4. स्वजनों के बीच हो मकान : मकान अपनों के ही के पास बनाएं। माकान ऐसी जगह हो जहां आसपास सज्जन या स्वजातीय के लोग रहते हों। यदि आप शाकाहारी है तो आपको महांसाहार लोगों के बीच रहना कठिन लगेगा। ऐसे में मकान की लोकेलिटी तय करना जरूरी है।
5. मकान के सामने अवरोध ना हो : मकान के सामने तीन रास्ते न हों, चौराहे पर न हो मकान, मकान के एकदम सामने खंभा या वृक्ष न हो। मकान के सामने या आसपास फैक्ट्री या शोर मचाने वाले संस्थान न हो। मकान शराब या मांस बेचने वाली जगह पर न हो।