Vastu tips for house construction : नया घर या मकान बनाते वक्त वास्तु का ध्यान रखना जरूरी है। यदि आपने प्लॉट खरीदने से पहले भूमि परीक्षण करा लिया है और अब आप उस भूमि पर अपने सपनों का घर बनाने जा रहे हैं तो आपको वास्तु के अनुसार नया घर बनाने के लिए 5 बातों का ध्यान रखना जरूरी हैं अन्यथा वास्तु दोष के कारण आप घर में नुकसान उठा सकते हैं।
1. घर निर्माण का शुभ माह : गृहारम्भ आपको वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन मास में करना चाहिए। इससे आरोग्य तथा धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
2. घर की नींव : मकान बनाने के पूर्व नींव खोदी जाती है और उस नींव में वास्तु के अनुसार धातु का एक सर्प और कलश रखा जाता और फिर नींव रखी जाती है। इस कार्य को पंडितों द्वारा विधिवत किया जाता है। इसमें यही भाव रहता है कि जैसे शेषनाग अपने फण पर संपूर्ण पृथ्वी को धारण किए हुए है और रक्षा किए हुए हैं उसी उसी प्रकार मेरे इस भवन की भी रक्षा करें। नींव में चांदी के नाग बनाकर रखा जाता है। उसके साथ विष्णुरूपी कलश कलश को क्षीरसागर का भी प्रतीक माना है जिसमें जल और दूध मिला होता है और उसमें जो सिक्का रखा जाता है वह देवी लक्ष्मीजी का प्रतीक है। तीनों का विधिवत रूप से पूजन होता है।
3. गृह का आकार : चौकोर तथा आयताकार मकान उत्तम होता है। आयताकार मकान में चौड़ाई की दुगुनी से अधिक लंबाई नहीं होनी चाहिए। कछुए के आकार वाला घर पीड़ादायक है। कुंभ के आकार घर कुष्ठ रोग प्रदायक है। यदि आपका प्लाट वर्गाकार है, तब उसमें आगे की जगह छोड़ते हुए पीछे की तरफ मकान बनाना चाहिए। यदि आपका प्लाट आयताकार है, तब उसमें मकान आगे ही बनाना चाहिए। यदि आपका टेपरिंग प्लाट है, तब भी उसमें आयताकार प्लॉंट की तरह ही मकान बनाएं तथा बिलकुल पीछे दोनों कोनों पर एक-एक तेज लाइट लगाएं। यदि आपके मकान के पीछे पहाड़ी, बड़ा पेड़, बड़ी इमारत आदि है तो उत्तम। यह आपको सुरक्षा प्रदान करती है।
4. मकान के कोने : तीन तथा छ: कोन वाला घर आयु का क्षयकारक है। पांच कोन वाला घर संतान को कष्ट देने वाला है। आठ कोन वाला घर रोग उत्पन्न करता है। आठ कोने के मकान लंबी बीमारी, मुसीबत और मृत्यु को दर्शाता है। शनि अष्टम में होने के संकेत। 18 कोने के मकान है तो धन की हानि, विवाह का नहीं होना। विवाह हो जाए तो विधुर-विधवा योग बनते हैं। इसी तरह 3 और 13 कोने वाला मकान साजिश में बर्बादी को दर्शाता है। 5 कोने वाला मकान संतान की बर्बादी।
5. वास्तु पूजा : कई लोग घर की वास्तु पूजा कराए बगैर ही मकान में शिफ्ट हो जाते हैं। परंतु पहले वास्तु पूजा के साथ ही क्षेत्रदेव पूजा भी करना चाहिए क्योंकि इसी से जो वास्तु दोष रह गया हो वह मिट जाता है और क्षेत्र पूजा से उस क्षेत्र की परा शक्तियां आपकी रक्षा करती हैं।