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वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पूजा घर के 10 नियम

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अनिरुद्ध जोशी

Pooja ghar as per vastu shastra: यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह सप्तम या दशम भाव में है तो घर में पूजा घर नहीं बनवाना चाहिए। चतुर्थ भाव में बृहस्पति के होने पर किसी वास्तु शास्त्री से पूछकर पूजा घर बनाएं। पूजा घर को वास्तु के अनुसार बनाएंगे तो ही उसका लाभ मिलेगा। हालांकि यदि आप हर हाल में पूजा घर बनवाना ही चाहते हैं तो वास्तु के 10 नियम जरूर जान लें।  
1. पूजा स्थल की दिशा : वास्तु के अनुसार ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व के बीच के स्थान में पूजाघर बनवाना चाहिए। यदि यहां नहीं बनवा सकते हैं तो उत्तर या पूर्व में बना सकते हैं। इसके विपरीत दिशा का चयन करने से बड़ा नुकसान हो सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजन-भजन-कीर्तन सदैव ईशान कोण में होना चाहिए।
 
2. इन दिशाओं में नहीं बनाएं पूजा घर : आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में मंदिर नहीं बनाना चाहिए क्योंकि ये दिशाएं यम की होती है। यहां मंदिर बनाने से घर में अचानक घटना और दुर्घटना की संभावन बढ़ सकती है।
 
3. पूजा घर का मंदिर : पूजा घर का मंदिर हमेशा अच्छी लकड़ी का होना चाहिए। लकड़ी में आप सगौन, शीशम या अखरोट की लकड़ी का उपयोग कर सकते हैं।
 
4. शयनकक्ष में : शयनकक्ष अर्थात बेडरूम में पूजाघर या मंदिर नहीं बना सकते हैं, क्योंकि यह हमारे सोने का स्थान होता है। यदि मजबूरी हो तो ऐसा मंदिर बनाएं जिसके चारों ओर परदे लगाकर उसे ढक दिया जाए।
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5. सीढ़ियों के नीचे : सीढ़ियां राहु का स्थान होता है। इसके नीचे मंदिर को रखने से घर में कई तरह की परेशानी खड़ी हो सकती है। मानसिक तनाव और धन की हानि होगी। 
 
6. शौचालय या स्नाघर के पास : टॉयलेट या बाथरूम के पास, बगल में, उपर या नीचे पूजाघर नहीं बनाना चाहिए। यह स्थान भी राहु और शनि के स्थान है। वास्तु के अनुसार इससे जीवन में कई तरह के कष्ट झेलना पड़ सकते हैं। ALSO READ: घर में सीढ़ियों की संख्या कितनी होनी चाहिए, कैसे करें वास्तु दोष दूर
7. बेसमेंट या तलघर में : कई घरों में तलघर होता है या कार पार्क करने का स्थान होता है जहां पर शनि और राहु का प्रभाव रहता है। यहां पूजाघर बनाना अच्‍छा नहीं है।
 
8. पूजा घर में ये न रखें : खंडित मूर्ति, विषम संख्‍या में मूर्ति, रौद्र रूप की तस्वीर, एक से ज्यादा शंख, कटी-फटी धार्मिक पुस्तकें, माचिस, निर्माल्य, टूटे हुए चावल, पूर्वजों की तस्वीर, साधु संतों के चित्र या मूर्ति न रखें। इसी के साथ ही पूजा घर में 2 शिवलिंग, 3 गणेश, 2 शंख, 2 सूर्य, 3 दुर्गा मूर्ति, 2 गोमती चक्र और 2 शालिग्राम नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशांति होती है। इसी के साथ ही माता काली, शनिदेव और भैरवजी की मूर्ति भी नहीं रखते हैं। माता लक्ष्मी की खड़ी हुई मूर्ति भी नहीं रखना चाहिए।
9. क्या होना चाहिए : शंख, गरुढ़ घंटी, कौड़ी, चंदन बट्टी, तांबे का सिक्का, आचमन पात्री, शालिग्राम, शिवलिंग, सुगंधी, पीला वस्त्र, जप माला, जनेऊ, पूजा की छोटी सुपारी, तरभाणा, गंगाजल और पानी का लोटा होना चाहिए। 
 
10. कई पूजा घर : एक ही मकान में कई पूजा घर होने पर घर के सदस्यों को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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